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जिनको सुमधुर वाणी ने हृदय और मस्तिष्क को समान रूप से प्रभावित किया। जिनकी लोह लेखनी ने जीवन की दिव्यता और भव्यता का अंकन किया। जिनके निर्मल जीवन ने अपार हार्दिक स्नेह एवं सौजन्य प्रदान किया। उन महामहिम परम श्रद्धय प्रज्ञास्कन्ध अध्यात्मयोगी राजस्थान केसरी उपाध्यायप्रवर श्री पुष्कर मुनिजी महाराज के पुनीत कर-कमलों में सविनय, सादर समर्पित
-देवेन्द्र मुनि