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आगमों का व्याख्यात्मक साहित्य ५५७ किया जाय यह अपेक्षित है। आगम रत्नाकर हैं उनमें जितनी गहरी डुबकी लगाई जाएगी, उतने ही अनमोल रत्न प्राप्त होंगे। आवश्यकता है शोधार्थियों को इस सम्बन्ध में अन्वेषणा करने की।
संक्षेप में प्रस्तुत ग्रन्थ में अंग, उपांग, मूल, छेद, प्रकीर्णक, नियुक्ति, भाष्य, चूणि व संस्कृत टीकाएँ, लोक भाषाओं में रचित बालवबोध अंग्रेजी, गुजराती व हिन्दी अनुवाद का संक्षेप में परिचय दिया गया है। यह परिचय जिज्ञासुओं के अन्तर्मानस में आगम साहित्य के प्रति अध्ययनअध्यापन की रुचि जागृत करेगा ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है।
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