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नियुक्ति साहित्य : एक विश्लेषण
आगम साहित्य के गुरु-गंभीर रहस्यों के उद्घाटन के लिए विविध व्याख्या साहित्य का निर्माण हुआ। उस विराट् आगमिक व्याख्या साहित्य को हम पांच भागों में विभक्त कर सकते हैं
(१) नियुक्तियां (निज्जुत्ति) (२) भाष्य (भास) (३) चूणियाँ (चुण्णि) (४) संस्कृत टीकाएँ (५) लोकभाषा में लिखित व्याख्या साहित्य ।
संक्षेप में आगमों के विषयों का परिचय प्रदान करने वाली अनेक संग्रहणियाँ हैं। पञ्चकल्पमहाभाष्य के अभिमतानुसार संग्रहणियों के रचयिता आर्य कालक माने गए हैं। नियुक्तियाँ
जैन आगम साहित्य पर सर्वप्रथम प्राकृत भाषा में जो पद्यबद्ध टीकाएं लिखी गई वे नियुक्तियों के नाम से विश्रुत हैं। नियुक्तियों में मूल ग्रन्थ के प्रत्येक पद पर व्याख्या न कर मुख्य रूप से पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या की है। नियुक्तियों की व्याख्या शैली निक्षेप पद्धति है । निक्षेप-पद्धति में किसी एक पद के संभावित अनेक अर्थ करने के पश्चात् उनमें से अप्रस्तुत अर्थों का निषेध कर प्रस्तुत अर्थ को ग्रहण किया जाता है। यह पद्धति जैन न्यायशास्त्र में बहुत ही प्रिय रही है। भद्रबाहु ने प्रस्तुत पद्धति नियुक्ति के लिए उपयुक्त मानी है । वे लिखते हैं- 'एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं किन्तु कौन-सा अर्थ किस प्रसंग के लिए उपयुक्त है। श्रमण भगवान महावीर के उपदेश के समय कौन-सा अर्थ किस शब्द से सम्बद्ध रहा है। प्रभृति सभी बातों को दृष्टि में रखते हुए, सही दृष्टि से अर्थ निर्णय करना और उस अर्थ का मूलसूत्र के शब्दों के साथ सम्बन्ध स्थापित करना नियुक्ति का