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________________ २८८ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा दिगम्बर साहित्य में जो उत्तराध्ययन की विषय-वस्तु का निर्देश है वह वर्णन वर्तमान में उपलब्ध उत्तराध्ययन में नहीं है। आंशिक रूप से अंगपण्णत्ती का विषय मिलता है,जैसे (१) बाईस परिषहों के सहन करने का वर्णन-दूसरे अध्ययन में । (२) प्रश्नों के उत्तर-उन्तीसा अध्ययन । प्रायश्चित्त का विधान और भगवान महावीर के निर्वाण का वर्णन उत्तराध्ययन में प्राप्त नहीं है। यह हो सकता है कि इन लेखकों को उत्तराध्ययन की प्रति प्राप्त नहीं हुई हो और भ्रान्त अनुश्रुति के आधार पर ऐसा लिख दिया हो अथवा उन्हें उत्तराध्ययन का अन्य संस्करण प्राप्त हुआ हो। तत्त्वार्थराजवार्तिक में उत्तराध्ययन को आरातीय आचार्यों (गणधरों के पश्चात् के आचार्यों) की रचना माना है।' समवायांग और उत्तराध्ययन नियुक्ति आदि में उत्तराध्ययन की जो विषय-सूची दी गई है वह उत्तराध्ययन में ज्यों की त्यों प्राप्त होती है । अतः यह असंदिग्ध रूप से कहा जा सकता है कि उत्तराध्ययन की विषय-वस्तु प्राचीन है। वीर-निर्वाण की प्रथम शताब्दी में दशवकालिक सूत्र की रचना हो चुकी थी। उत्तराध्ययन दशवकालिक के पहले की रचना है, वह आचारांग के पश्चात् पढ़ा जाता था, अतः इसकी संकलना बीरनिर्वाण की प्रथम शताब्दी के पूर्वाद्धं में ही हो चुकी थी। क्या उत्तराध्ययन भगवान महावीर को अन्तिम वाणी है? अब प्रश्न यह है कि क्या उत्तराध्ययन भगवान महावीर की अन्तिम वाणी है ? उत्तर में निवेदन है कि श्रुतकेवली भद्रबाह स्वामी ने कल्पसूत्र में लिखा है कि श्रमण भगवान महावीर कल्याणफल-विपाक वाले पचपन अध्ययनों और पाप-फल वाले पचपन अध्ययनों एवं छत्तीस अपृष्ट-व्याकरणों का व्याकरण कर प्रधान नामक अध्ययन का प्ररूपण करते-करते सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हो गये। १ यद् गणधरशिष्यप्रशिष्यरारातीयैरधिगतश्रुतार्थ तत्त्वः कालदोषादल्पमेधायुर्बलानां प्राणिनामग्रहार्थमुपनिबद्धं संक्षिप्तांगर्थवचनविन्यासं तदंगबाह्यम्""तभेदा उत्तराध्ययनादयोऽनेकविधाः -तस्वार्थवार्तिक ०२०पृ०७५ २ समवायांग ३६वां समवाय । उत्तराध्ययननियुक्ति १८-२६ कल्पसूत्र १४६, पृ० २१० देवेन्द्र मुनि सम्पादित ।
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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