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लोक ५७६, (२) नारकलोक ५७६, (३) भावनलोक ५७७, (४) नरलोक ५७७, (५) तिर्यकलोक ५७८, (६) व्यंतरलोक ५७८, (७) ज्योतिर्लोक ५७८, (८) सुरलोक ५७८, (6) सिद्धलोक ५७६, आचार्य कुन्दकुन्द और उनके ग्रन्थ ५७६, प्रवचनसार ५८०, समयसार ५८१, पंचास्तिकाय ५८३, नियमसार ५८३, दर्शनाप्रामृत ५८४, चारित्रप्राभूत ५८४, बोधप्राभूत ५८५, भावप्राभृत ५८५, मोक्षप्राभूत ५८६. द्वादशानुप्रेक्षा ५८६, सुत्तपाहुड आदि ५८६, कुन्दकुन्द की जैनदर्शन को देन ५८७, मूलाचार ५६०, भगवती आराधना ५६१. कार्तिकेयानुप्रेक्षा ५६३, आचार्य नेमिचन्द्र और उनका साहित्य ५६३, गोम्मटसार ५६४, लब्धिसार ५६४, चारित्रलब्धि ५६५, त्रिलोकसार ५९६, द्रव्यसंग्रह ५६६, जंबूदीवपण्णतिसंगहो ५६७, धम्मरसायण ५६७, आराधनासार ५६७, तत्त्वसार ५६८, दर्शनसार ५६८, भावसंग्रह ५६८, बृहद्नयचक्र ५१८, ज्ञानसार ५६६, वसुनन्दी श्रावकाचार ५६६, श्रुतस्कंध ५६६, निजात्मा अष्टक ६००, छेदपिंड ६००, भावत्रिभंगी ६००, आस्रवत्रिभंगी ६००, सिद्धान्तसार ६००, अंगपणती ६००, कल्याणालोयणा ६०१, ढाढसीगाथा ६०१, छेदशास्त्र ६०१, दिगम्बर परम्परा की दृष्टि से अनुयोगों का विभाजन ६०१, प्रथमानुयोग ६०१, करणानुयोग ६०१, द्रव्यानुयोग ६०२, चरणानुयोग ६०२ षष्ठ खंड-तुलनात्मक अध्ययन (जैन, बौद्ध और वैदिक साहित्य) ६०३-६३० तुलनात्मक अध्ययन
६०५-६३० तुलना का प्रयोजन- दुराग्रह का त्याग ६०५, आचारांग और वैदिक साहित्य ६०८, सूत्रकृतांग, स्थानांग एवं समवायांग और बौद्ध साहित्य ६१०, उत्तराध्ययन और बौद्ध एवं वैदिक. साहित्य ६२०, दशवकालिक और बौद्ध एवं वैदिक साहित्य ६२३, जैन-बौद्ध परम्परा के कुछ शब्दसाम्य ६२६, जैन आगम की उक्तियों और आख्यायिकाओं का बौद्ध, वैदिक और विदेशी साहित्य से साम्य ६३३, उपसंहार ६३४
सप्तम खंड-आगम साहित्य के सुभाषित ६३६-६७३ भागम साहित्य के सुभाषित
६४१-६७३ मागम साहित्य ६४१, आचारांग ६४१, सूत्रकृतांग ६४५, स्थानांग ६४८, भगवती ६४६, प्रश्नव्याकरण ६५०, दशवकालिक ६५२, उत्तराध्ययन ६५६, आगमों का व्याख्या साहित्य ६६०, आचारांगनियुक्ति ६६०, सूत्रकृतांगनियुक्ति ६६१, दशवकालिकनियुक्ति ६६१, उत्तराध्ययननियुक्ति ६६१, आवश्यकनियुक्ति ६६२, ओधनियुक्ति ६६३, बृहत्कल्पभाष्य ६६५, व्यवहारमाष्य ६६६, निशीथभाष्य ६६६, आवश्यकनियुक्तिभाष्य ६६७,