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________________ सौम्य और विनीत की बुद्धि स्थिर :१ ६६ साला दोला-"अभी पता लगाकर आता हूँ। मैं खुद ही जाता हूँ।" यों कहकर साला तत्काल चल पड़ा। बादशाह ने बेगम से कहा-"आज तुम्हा भाई की बुद्धि की परीक्षा है ? इसलिए न रातभर तुम्हें सोना है, न मुझे ।" दिल्ली बहुत लंबी-चौड़ी नगरी। फिरते-फिरते बड़ी मुश्किल से साला बहाँ पहुंचा, जहाँ बाजे बज रहे थे। साले ने उस मुहल्ले का नाम पूछा और लौट पड़ा। आकर बादशाह से कहा- "हजूर ! ये बाजे अमुक मुहल्ले में बज रहे हैं।" बादशाह ने पूछा- "क्यों बज रहे हैं ?" "यह तो मैंने नहीं पूछा।" बादशाह कहा-"अच्छा फिर जाओ, पूठकर आओ।" साला फिर वहीं पहुंचा और पूछताछ की कि ये वाजे क्यों बज रहे हैं ? वहां उपस्थित लोगों ने कहा- "विवाह के कारण बारी बज रहे हैं।" साले ने आकर बादशाह को रिपोर्ट दी। बादशाह ने पूछा-"विवाह शिसका है ? बेटे का है या बेटी का?" "वो तो मैंने नहीं पूछा, आप कहें तो पूछ चाऊँ ?" साले ने कहा। बादशाह ने कहा-'हाँ, जल्दी पूछ आओ।" साले ने वहाँ जाकर पूछा तो पता लगा कि बेटी की शादी है। बादशाह को जब उसने यह रिपोर्ट दी तो उन्होंने पूछा-"अच्छा, यह बारात कहाँ से आएगी?" साले ने बादशाह के अनुराध से विवाह वाले के यहाँ जाकर फिर पूछा- "बारात कहाँ से आएगी?" उन लोगों ने जिस नगर का नाम बताया था" साले ने बादशाह से आकर कह दिया। पर बादशाहायों झटपट छोड़ने वाले नहीं थे। अतः पूछा-"शादी कौन-सी कौम में है ?" साले ने कहा- 'हजूर ! यह तो मैंने नहीं पूछा।" बादशाह ने आदेश दिया--"अच्छा, जल्दी पूछतर आओ।" इधर बेगम बैठी-बैठी हैरान हो गई थी। उसकी आँखों मे नींद की झपकी आ रही थी। अतः तिलमिलाकर कहने लगी-"हो गई न परीक्षा ! अब तो इसका पिण्ड छोड़ो।" बादशाह 'आज ते पूरी परीक्षा लेनी है। अन्यथा, तुम्हें अपने भाई और बीरबल दोनों की बुद्धि एवं योग्यता का पता कैसे चलेगा?" इतने में साला पता लगाकर आया और बोला-"विवाह हिन्दुओं में है।" बादशाह ने कहा- "किस जाति में है, ब्राह्मणों में है या बनियों में ?" साला बोला- "यह तो मैंने नहीं पूछा, हजूर !" "अच्छा तो पूछकर आओ।" बादशाह F कहा। इस प्रकार साले साहब को चक्कर कार्स-काटते सारी रात हो गई। चलते चलते उसके पैर थककर चूर-चूर हो गए थे। पौ फटते ही प्रतिदिन के नियमानुसार बीवल बादशाह को मुजरा करने आया तो बादशाह ने उससे कहा- "जरा पता लगाकर आओ कि ये बाजे कहाँ बज रहे हैं? तुम खुद जाकर पूछ करके आना ?" बीरबल ने सच्चा-"आज कोई-न-कोई रहस्यमय बात है, तभी तो जो काम एक सिपाही से हो सकका है, उसके लिए बादशाह ने स्वयं मुझे
SR No.091010
Book TitleAnand Pravachana Part 9
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1997
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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