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आनन्द प्रवचन : भाग ६
जवकि दूसरों के पास तो ऊंची-ऊंची कोठियां हैं, आलीशान बंगले हैं, अमुक के पास इतना धन है, कार है, नौकर-चाकर हैं, बढ़िया कारोबार है और मेरे पास गुजारे लायक ही धन है, केवल एक साइकिल है, जिस पर बैठकर सिर्फ सौ-दो सौ की नौकरी कर जाता हूँ। नौकर-चौकर रखने की तो मेरी हैसियत ही नहीं है। इस प्रकार दूसरो की अपेक्षा अपनी स्थिति को अत्यन्त निम्न, हेय एवं तुच्छ समझ कर खिन्न और अप्रसन्न रहता है, मन में असन्तोष की चिन्गारी जलाता रहता है।
परन्तु वह जरा गहराई में उतरकर दे सोचें, तो उसे वे धनिक लोग उसकी अपेक्षा अधिक दुखी, दयनीय और असन्तुष्ट दिखाई देंगे। विपुल धन-सम्पत्ति रोजगार, भोग-विलास के प्रचुर साधन, एवं कार, कोठी आदि की सुविधाएं अपने-आप में जीवन में सुख-शान्ति नहीं देती, न दे सकती हैं। अनेक लोग भी घोर अशान्ति एवं दुख में पड़े देखे गए हैं। प्रसिद्ध धनकुबेर हेनरी फोकी दुखभरी जिन्दगी किसी से छिपी नही है। साधन कभी सुख नहीं दे सकते, यह पूर्णतया प्रमाणित हो चुका है। सुख का मूल स्त्रोत सन्तोष है। सन्तोष एक ऐसा धन है जिसके आगे सभी धन नगण्य हैं। राम सतसई में ठीक ही कहा है
गोधन, गजघन, वाजिघना और रतन धनखान ।
जब आवे सन्तोष धन, सब धन धूल समान। अगर बाह्य धन मनुष्य के पास हुआभी तो परिजनों का विछोह, बीमारी, या मृत्यु के आने पर वह धन क्या काम देगग ? कपूत बेटा हो, कुलक्षणा स्त्री हो, कलहप्रिय परिवार हो या अत्याचारी तत्वों में समाज दूषित हो रहा है तो वैभव, धन साधन, सुविधाएं या शिक्षा आदि क्या कामां दे सकेंगे ? धन से ये समस्याएं सुलझ नहीं सकेंगी। एकमात्र सन्तोष से, धैर्य और शान्तिपूर्वक प्रयत्न से ही धनिक मनुष्य इन परिस्थियों में सुख से रह सकेगा। अगर एनिक लोग ऐसी विकट परिस्थिति में धैर्य
और सन्तोष को छोड़कर असन्तुष्ट, उद्विग्न, एवं निराश होंगे तो उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी, वे असीम दुखानुभव से घिर जायेंगे। इस सम्बन्ध में मुहम्मद बिन बशीर ने अपने अनुभव की बात कह दी है
"जबकि सब कामों के रास्ते बन्द ही जाते हैं, उस वक्त सन्तोष ही तमाम रास्ते बिना शक अच्छी तरह खोल देता है।"
एक अंग्रेजी कहावत के अनुसार--"सन्तोष कभी खरीदा नहीं जा सकता।" सन्तोष का उद्गम स्थान हृदय एवं बुद्धि है, बाह्य साधन नहीं। - आपने देखा होगा कि बहुत से श्रमिक जितना दिन भर में कमाते हैं, उसे शाम तक खा लेते हैं। कल के लिए उन्हे जर भी चिन्ता नहीं होती ! वे खूब सुख-शान्ति की नींद सोते हैं। उन्हें मस्ती में आकर उछलते-कूदते देखकर प्रतीत होता है, दुनिया में
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