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________________ परमार्थ से अनभिज्ञ द्वारा कवन : विलाप अन्धों की यही दशा होती है। यही वात सूत्रकृतांग सूत्र (श्रु.१ अ. ९ उ. २) मं कही गई है.-- अंधो अंधं पहं नितो, दूरमद्धाण गच्छति । आवज्जे उप्पहं जनतू, अदुवा पंथाणुगामिए।। "अंधा आदमी अंधे को प्रेरित करके ले जाए तो वह विवक्षित मार्ग से पृथक् मार्ग पर ले जाता है अथवा अंधा प्राणी उत्पथ पर जा चढ़ता है या अन्य मार्ग का अनुसरण करता है।' 'अन्येनैव नीयमाना यवान्याः' (जैसे अधो को अंधा ले जाता है, तो वह पतन के गर्त में उन्हें गिरा ही देता है) इस न्याय के अनुसार यहाँ भी अध्यात्मज्ञान के पथ से अनभिज्ञ अज्ञानान्ध व्यक्ति जब दूसरे अज्ञानान्ध लोगों का पथ प्रदर्शन करते हैं, तब वे उन्हें भी इसी प्रकार पतन के गर्त में गिरा देते हैं। ऐसे लालबुझक्कड़ों से सावधान कई बार कुछ चतुर लोग सारे गाँव का नेतृत्व करने के लिए गाँव के गँवार लोगों पर अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमानी एवं पण्डित्य की छाप जमाते हैं और जो भी उनकी बुद्धि में सूझता है, वैसी बात भोली-भाली जनता के दिमाग में ठसा देते हैं। इससे नुकसान यह होता है कि भोली जनता की स्वयं की स्फुरणाशक्ति, परीक्षण-निरीक्षणशक्ति एवं निर्णयशक्ति इण्ठित हो जाती है। वह तथाकधित लालबुझक्कड़ के बिना एक दिन भी किसी मामले में यथार्थ कदम नहीं उठा सकती। वह सदैव अनिश्चित दशा में रहती है। एक गाँव में एक लालबुझक्कड़जी रहते थे। गाँव में जब भी कोई नई बात होती या किसी की समझ में कोई बात नहीं जाती तो वें लालवुझक्कड़जी से पूछते थे। लालबुझक्कड़जी सही या गलत जो भी बता देते ग्रामीण लोग आँखें मूंदकर मान लेते। इस गलत मार्गदर्शन से कई बार गाँव के लोगों को मुसीवत भी उठानी पड़ी, फिर भी गाँव के भोले लोग 'बाबा वाक्यं प्रमाणं' तो तरह अन्ततो गत्वा उन्हीं के पास सलाह लेने आते और वह कह देते उसे स्वीकार कर लेते। एक रात को गाँव में हाथी आ गया। गाँव के लोगों ने सुबह हाथी के पैर निशान देखे तो वे आश्चर्य में पड़ गये, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में हाथी कभी नहीं देखा था। सोचने लगे- "पता नहीं, गाँव पर क्या मुसीबत आएगी?" इतने में किसी ने कहा-"चिन्ता क्यों करते हो? चलो न अपने गाँव के लालबुझक्कड़जी के पास। वे जो भी बताएँगे तदनुसार कुछ उपाय करना होगा तो करेंगे।" ___गाँब के बहुत से लोग लालबुझक्कड़ के पास पहुँचे और उनसे निवेदन किया कि हमारे साथ चलकर देखिये तो ये किसके निशान हैं ? गाँव पर कौन-सी आफत उतरने चाली है?
SR No.091010
Book TitleAnand Pravachana Part 9
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1997
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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