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________________ • [१५] आनन्द प्रवचन : भाग १ कसाई कौन-कौन? अनुमंता, विशसित, निहंता क्रय-विक्रयी। संस्कर्ता चोपहर्ता च, खादकश्चेति अष्टमः। - मनुस्मृति १) अनुमंता - जो अनुमोदन करे। जैसे1 - 'यह जानवर काटने लायक है, इसका माँस बदिया होगा।' यद्यपि व्यक्ति ने किसी जानवर को मारा नहीं है, केवल अनुमोदन किया है। तब भी वह मनुस्मृति के अनुसार व्यसाई है। २) विशसिता - अलग-अलग टुकड़े करना। खाया नहीं, पर ट्रकड़ों में विभाजित किया, ऐसा व्यक्ति भी कसाई है। ३) निहता - मारने वाला। व्यक्ति स्वर खाये चाहे नहीं, किन्तु जीवों को अगर मारता है तो कसाई कहलाता है। ४) क्रयी - माँस खरीदने वाला भी कसाई है। ५) विक्रयी - माँस बेचने वाला भी क्साई कहलाता है। अर्थात् माँस को बेचने और खरीदने वाले दोनों ही कसाई होते हैं। ६) संस्कर्ता - माँस का संस्कार करने वाला वक्ति कसाई कहलाता है। ७) उपहर्ता - माँस परोसने वाले को कसाई कहते हैं। ८) खादक - माँस खाने वाला भी कसाई माना जाता है। इस प्रकार मनुस्मृति में आठ प्रकार के कसाई माने गए हैं। माँसाहार सर्वथा निषिद्ध है बंधुओ, जहाँ मांसाहार होता है वहाँ करुणा की भावना नहीं रहती, अहिंसा की रक्षा नहीं होती। आपको एक बात और ध्यान में रखना चाहिए कि प्रत्येक धर्म में दया, करुणा, क्षमा और परोपकार की भावना को धर्म का अंग माना गया है। और दूसरे शब्दों में हिंसा को हेय माना गया है। मुस्लिम जाति जिसे प्राय: कसाई के नाम से ही पुकारते हैं, उनके धर्म-शाच 'कुरान' में भी लिखा है : वल्लाहो ला मुहिब्बुल जालमीन । अला 'इन्नजालमीन मी अजाबिन मुकीम ॥ अर्थात् खुदा जालियों से कभी प्रेम नहीं करता। याद रखो कि अत्याचारी व्यक्ति सदा के लिए कष्ट सहन करेंगे। इसी प्रकार ईसाइयों के धर्मग्रंथ इंजील में कहा गया है :"Thou shalt not kill." - तू किसी का भी वध नहीं करेगा।
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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