________________
• ऐसे पुत्र से क्या...? वह निर्विवाद रूप से सही है। मांसाहारी व्यक्ति केवल हिंसा और पाप का ही भागी नहीं बनता वरन् अतीव क्रोध और भोगलिफ्ना का भी अधिकारी बनता हैं तथा असंख्य कर्मों का उपार्जन कर लेता है।
पंजाब में सरक्यूलर निकाला गया ा कि विद्यार्थियों को अण्डे खाने के लिए दिये जायें। सरकारी कानन बना कि बाजों को अण्डे दो। पर लोगों ने उसका घोर विरोध किया और कहा कि जो खाते हैं उन्हें भले ही दिये जायें पर नहीं खाने वालों के लिए यह दबाव क्यों? इस विषय में लोगों की अगणित अर्जियाँ पहुँची तब वह सरक्यूलर रद्द किया गया। मांस नहीं पकाओगी तो मार्क कम मिलेंगे
हम जब हांसी (पंजाब) में थे, हम देखा; एक वकील जोकि जैन श्रावक थे, उनकी पुत्री स्कूल में अध्ययन कर रही है। स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने लड़की से कहा - "तम मांस पकाना सीखो!"
लड़की ने उत्तर दिया - मैंने जिन्दगी में मांस देखा ही नहीं तो फिर पकाना कैसा? मैं मांस पकाने का काम नहीं कर सकती।
प्रधानाध्यापिका ने उसे भय दिखाया - "अगर मांस नहीं पकाओगी तो तुम्हें मार्क कम मिलेंगे।"
लड़की ने घर आकर अपने पिता # सारी बात बताई कि मांस न पकाने पर बहनजी नम्बर कम देने को कह रही है। पिता वकील ठहरे, बोले - "अगर ऐसा है तो यह बात तुम अपनी मिस्ट्रेस से लिखकाकर ले आओ।"
लड़की ने स्कूल जाकर अपनी टीजर से कह दिया - "आप हमें यह बात लिखकर दीजिये उस पर हम विचार करेंगे।"
पर बहनजी लिखकर कैसे देती? फँस जाती- न! बोली हम लिखकर -नहीं देते, पर अपना सरक्यूलर यही है।
इस पर छात्रा ने कह दिया - "अप लिखकर नहीं देती तो मैं भी मांस नहीं पकाती"
बी.ए. के बाद में वही लड़की विटेश भी गई। और उच्च अध्ययन प्राप्त किया। यह उदाहरण देने से मेरा अभिप्राय यही है कि उस लड़की की दृढ़ता
और माता-पिता के डाले हुए उत्तम संस्कार्प के कारण ही वह कठिनाई से बच सकी। अन्यथा उसे वह निषिद्ध कार्य करना पड़ता और फिर अहिंसा-धर्म का पालन नहीं होता। आप सोचेंगे कि माँस पकाने में से हिंसा का भागी क्यों बनना पड़ता? इसका उत्तर यही है कि केवल प्राणिघात करना ही हिंसा नहीं है। हिन्दुओं के मान्यग्रन्थ मनुस्मृति में हिंसा के आठ प्रकार बताये गये हैं। अर्थात् आठ प्रकार के कसाई कहे गये हैं।