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सुभद्रा-इरावती नदी । (सु)मागधी-पटना की शोण नदी, जिस पर कभी राजगृह बसा हुआ था। सुमनकूट-श्रीप(1)द। सुमेरु-गढ़वाल में, बदरीनाथ के निकट, पंचपर्वत ( रुद्र हिमा० )-स्वर्णगिरि अथवा
हेमकूट नहीं। सरथ (अद्रि)-नर्मदा आदि का स्रोत, अमरकण्टक । सु(सौराष्ट्र-सूर्यपुर, सुपारग ( सूरत ), काठियावाड़ तथा गुजरात का कुछ अंश । सुवास्तु-गन्धर्वदेश की नदी, स्वात । सुवर्णभूमि-ब्रह्मदेश (बर्मा) सुवर्णगिरि-(मैसूर में ) मास्की। अशोक के समय में चार राज्यपाल क्षेत्र थे— तक्षशिला, उज्जैन, तोसाली तथा सुवर्णगिरि । सुवर्णग्राम-( ढाका में ) सोनारगाँव । सुवर्णरेखा-गिरिनार की पलाशिनी । उड़ीसा की कपिशा । सुह्म-बंग तथा कलिंग के अन्तर्गत देश, राढ़, दे० पंचगौड़। सूर्यनगर-श्रीनगर । सूर्यपुर-सूरत । यहीं शंकराचार्य ने अपनी 'वेदान्त-टीका' रची थी। सेतुबन्ध-भारत तथा सिंहल के वीच में, श्रीप(1)द। सोम पर्वत-अमरकण्टक । सौमनगर-शाल्वपुर ( अलवर)। सौवीर-सिन्ध तथा मद्र का अन्तर्देश ( यौधेय?)। स्त्रीराज्य-कुमाऊँ अथवा गढ़वाल का पुराना नाम । महाभारत-युग में यहाँ स्त्रियों का अनुशासन
होता था-प्रमीला ने इधर ही अर्जुन से लोहा लिया था । (विप० पुरुषपुर) स्थाने(बी)श्वर-थानेसर (कुरुक्षेत्र), स्थाणुतीर्थ । स्रुघ्न-जौनसर जिले में, कालसी । हंसद्वार-क्रौञ्चद्वार। हत्याहरण-अवध में, हरदोई से २८ मील उत्तर-पूर्व, एक तीर्थ-जहाँ भगवान् राम ने (रावण
की) ब्रह्महत्या का पाप-प्रक्षालन किया था। हरकेल-बंग; दे० 'पंचगौड़ । हरक्षेत्र-भुवनेश्वर । हरिवर्ष-उत्तर कुरु, जिसमें तिब्बत का पश्चिमी भाग शामिल था। हस्तिनापुर-कुरुओं की प्राचीन राजधानी, गजसाह्रय; किन्तु जनमेजय के दो पीढ़ी बाद, नवी
राजधानी कौशाम्बी हो गई थी। हिरण्यपर्वत-मुद्ग(ल)गिरि, मुंगेर । हिरण्यबाहु-शोण नदी। हृषीकेश-बदरीनाथ तथा हरिद्वार के मध्य स्थित प्रसिद्ध तीर्थ, 'ऋषिकेश' । हेमकूट-कैलास। हैमवत-भारतवर्ष । हैमवती-गंजम के निकट, महेन्द्र से उद्गत ऋषिकुल्या नदी। इरावती । शतदु (सतलुज),
जो वशिष्ठ के दृष्टिपात से सौ-सौ धाराओं में फूट गई। हैहय-अनूपदेश अथवा 'माहिष्मती राज्य' अथवा मालवदेश । हादिनी-ब्रह्मपुत्र नदी।
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