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[ ७८ ]
नि (ने) रंजना ( रा ) - फल्गु नदी ( अश्वघोष ), जिसके तट पर भगवान् बुद्ध को बोध प्राप्त हुआ था ।
पंचकेदार - गढ़वाल की पर्वतमाला पर केदारनाथ, तुङ्गनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमेश्वर, कल्पेश्वर नाम के ( महादेव के अंगांग के द्योतक ) पाँच शृङ्ग । ( बदरीविशाल० )
पंचगौड़ - बंगाल से प्राचीन विभाग- पुण्ड्र, राढ़, मगध, तीरभुक्ति, वारेन्द्र । ( राजत० ) पंचग्राम - ३० पाणिप्रस्थ ।
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पंचतीर्थ - हरिद्वार की पश्चिमी घाटी में (सप्त-, सीता, अमृत, राम, सूर्य ) कुण्ड | ( स्कन्द० पंचद्रविड़ - द्राविड़, कर्णाट, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र - दक्षिण के जिस विभाग का आधार, भूगोल नहीं, ब्राह्मणों का 'अन्तर्जातीय भेद' है ।
पंचनद — पंजाब | कुरुक्षेत्र में एक तीर्थस्थान । कृष्णा, वेन, तुङ्ग, भद्रा, कोन ( नदियों का ) 'दक्षिणी' पंचाल |
पंचप्रयाग - विभिन्न संगमों पर अवस्थित देव, कर्ण, रुद्र, नन्द तथा विष्णु – 'प्रयाग' तीर्थ । पंचबदरी - बदरीनाथ, वृद्धबदरी, भविष्यबदरी, आदिबदरी, पाण्डुकेश्वर आदि । पंचवटी - नासिक्य ( नासिक ), जहाँ रावण ने सीता का
अपहरण किया था । यहीं शूर्पणखा
तथा मारीच के काण्ड हुए थे ।
• पंचाल - रोहिलखण्ड, जो पहले गंगा की धारा द्वारा दक्षिण तथा उत्तर पंचालों में विभक्त था । उत्तर पंचाल की राजधानी अहिच्छत्रा थी, दक्षिण ( जहाँ की द्रौपदी थी ) की कांपिल्य । पद्मक्षेत्र - उड़ीसा में, 'कोणार्क' नाम से प्रसिद्ध सूर्य-मन्दिर ।
पद्मपुर, पद्मावती-भवभूति की जन्म तथा दीक्षाभूमि, आधु० पद्मपवाया ( विजयनगर विद्यानगर ) | ( उत्तरचरित )
पम्पा - किष्किन्धा में, तुङ्गभद्रा की एक धारा । यहाँ पर ऋष्यमूक के चरणों में 'पम्पा' सरोवर भी है।
पयस्विनी - त्रावनकोर में, पापनाशिनी नदी ।
परुष्णी - इरावती ( पंजाब की रावी ) नदी ।
पर्णाशा - राजपूताना में, चम्बल की एक धारा, बनास ।
पलक्कड़ - पालघाट, दशनपुर ।
पलाशिनी - कपिशा, सुवर्णरेखा ।
पल्लव - दक्षिण में, कोरोमण्डल से सीमित देश - राज० काञ्ची । पवमान - पारियात्र की, एवं हिन्दूकुश की, एक पर्वतमाला । पशुपतिनाथ - ( नेपाल ) मृगस्थली में, महादेव का प्रसिद्ध मन्दिर ।
पश्चिम सागर — अरब सागर ।
( अ ? ) पल (न) व प्राचीन पार्थ (फारस ) राज्य का 'मद' प्रदेश । यहीं की 'पहवी' लिपि "मैं ज ेन्द ' अवस्ता' को सर्वप्रथम लेखबद्ध किया गया था। पहव देश कभी ( अरबी ?) घोड़ों के लिए भी विख्यात था ।
पाटलिपुत्र-पटना, जिसका मूल निर्माण अजातशत्रु ( ४८० ई० पू० ) ने किया था। मगध की प्राचीन राजधानी गिरिवज्र ( राजगृह ) का त्याग कर, पाटलिपुत्र को नयी राजधानी उदयाश्व ने बनाया था ।
पाठेय्य - बुद्ध-युग में 'पश्चिमी' भारत - जिसमें कुरु, पंचाल, अवन्ती, गान्धार, कम्बोज, शूरसेन आदि सम्मिलित थे । ( महाबग्ग )
प्राणिप्रस्थ - पानीपत । पाणि, शोण, इन्द्र, तिल, भाग—ये पाँच 'प्रस्थ'
ग्राम ) लेकर भी
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