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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७७१) भविमुक्त-काशी, वाराणसी (बनारस )। (शिव०, मत्स्य०)।। अश्मक-( दशकुमारचरित में ) विदर्भ के अधीन एक राज्य, जो अर्थशास्त्र के टीकाकार भट्टस्वामी के अनुसार, महाराष्ट्र है-और कभी अवन्ती-साम्राज्य के उत्तर-पश्चिम में था। (कूर्मः हर्ष०, जातक०) वक्ष (अश्मन्वती आमू) की सभ्यता का देश-ऑक्सियाना, 'पाताल'। अश्मन्वती-वक्षु ( आक्सस ), इक्षु, यक्षु, आमू दरिया । ( रघु०) असिक्नो-चनाब की एक धारा । अहिच्छत्र-रोहीलखण्ड में बरेली से २० मील पश्चिम की ओर, आधुनिक रामनगर, अहिक्षेत्र, छन्त्रवती । ( महा०) आदर्शावली-अरवळी पर्वतमाला । (दे० आर्यावर्त ) आनर्स-गुजरात ( तथा मालवदेश का कुछ अंश), जिसको राजधानी कभी कुशस्थली (द्वारिका) थी। उत्तर गुजरात की राजधानी का नाम भी कभी आनर्तपुर (भानन्दपुर, आधु० वाळनगर ) रहा था। (भागवत०) आन्ध्र-गोदावरी तथा कृष्णा नदियों का 'मध्यदेश', राज. अमरावती। सदियों यहाँ वेङ्गी के पल्लवों तथा कल्याणपुर के चोलों का उत्थान-पतन होता रहा। स्वयं आन्धों का राजवंश, इतिहास में, सातवाहन अथवा सातकर्णि के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। (गरुड०, अनर्घराषव) आपगा-(पश्चिमी पंजाब की ) रावी के पश्चिम में एक सरिता। २. कुरुक्षेत्र में चितांग नदी की एक सहायिका, जिसे ओघवती तथा 'आपगा' भी कहते हैं। (वामन.) भाभीर--नर्मदा के मुहाने के गिद, गुजरात का दक्षिणपूर्वीय भाग। (ब्रह्माण्ड०, महाभा०) भाम्रकूट-अमरकण्टक । भाजिकीया-ज्यास (विपाशा) को एक धारा । आर्यावर्त्त-(मनु के अनुसार ) हिमाद्रि तथा विन्ध्य के मध्य में स्थित देश, उत्तरापथ । पतञ्जलि के समय में आर्यावर्त की चार 'पार्वती' मर्यादाएँ थीं-१. उत्तर में हिमालय, २. दक्षिण में पारियात्र, ३. पश्चिम में आदर्शावली, तथा ४. पूर्व में कालकवन । राजशेखर के बालरामायण के अनुसार दक्षिणभारत तथा उत्तरभारत की स्वाभाविक विभाजन-रेखा है-नर्मदा । आशापल्ली-अलबेरूनी का येस्साबल अथवा आसाबल, आजकल का अहमदाबाद । इन्द्रपुर-इन्दौर । ( स्कन्दगुप्त के अभिलेख; शंकरविजय ) । इन्द्रप्रस्थ-पुरानी दिल्ली, बृहत्स्थलखाण्डवप्रस्थ ( महाभा०)। कहते हैं पुराने किलें का निर्माण ( कलियुग ६५३ में ? ) युधिष्ठिर ने किया था, लोकभाषा में उसे आज भी 'इन्द्रपत' कहते है। महाभारतकाल में यह युधिष्ठिर की राजधानी थी; किले का पुननिर्माण हुमायूँ का किया बतलाते हैं। इ(ऐ) रावतो-रावी ( पंजाब ) २. ( अवध की ) राप्ती (अचिरावती)। (गरुड०) इसिपत्तन-ऋषिपत्तन, सारनाथ । उदण्ड(न्त)पुर-पटना जिले का 'बिहार' शहर, जो कभी बंगाल के पाल राजाओं की राजधानी था । यहाँ बोधिसत्त्व अवलोकितेश्वर की चन्दनमयी मूत्ति से सुशोभित एक प्रसिद्ध बौद्ध विहार भी है। (द्वाविंश अवदान) उग्र-केरल ( देवीपु०)। बिहार में महास्थान ( पद्म०)। उच्च-वरण, बुलन्दशहर, जहाँ जनमेजय ने 'नागसत्र' ( अर्थात् पुराणों के प्रवचन) का प्रचलन किया था। उजयिनी-प्राचीन-मालवदेश ( अर्थात् अवन्ती) की राजधानी । तीसरी सदी ई० पू० में बिन्दुसार के शासनकाल में अशोक यहाँ राज्यपाल थे। विक्रमादित्य संवत्प्रवर्तक ने शकों को For Private And Personal Use Only
SR No.091001
Book TitleAdarsha Hindi Sanskrit kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamsarup
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1979
Total Pages831
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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