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गोसाई ने सन्तोष की सांस ली। फिर बोले : "सुभद्रा ने आत्म-हत्या कर ली है।" "क्या ?" भिभिराम अकचका गया। "हाँ ।" कॅली दीदी ने आकर समाचार दिया है।
गोसाईं ने संक्षेप में पूरी घटना सुना दी । सुनते ही भिभिराम का मन भारी हो आया । आहिना कोंवर के मुंह से ठण्डी आह निकल पड़ी। वह बोला :
"हे कृष्ण ! कलेजे से धुआं उठ रहा है।" गोसाईं ने आगे कहा :
"सिर्फ़ सुभद्रा की ही नहीं, कुछ और भी बातें हैं । गहपुर और ढेकियाजुली में भयानक अत्याचार हुए हैं। एक युवती और एक छोटी-सी लड़की को गोली से उड़ा दिया गया है।" ___गोसाई ने इस बार गोसाइन से सुनी कहानी दोहरा दी । दोनों घटनाओं के बारे में सुनकर भिभिराम की भकुटी तन गयी। आहिना कोंवर 'हे कृष्ण-हे कृष्ण कहते हुए ठण्डी आहें भरने लगे । बातचीत बढ़ाने की किसी की इच्छा नहीं हुई। इन्हीं घटनाओं को सुनते-सुनते दो मील का लम्बा रास्ता और आधे घण्टे का समय कब पार हो गया, किसी को पता भी न चला।
और आगे चर्चा करने की किसी की इच्छा न थी। फिर भी आहिना कोंवर से चुप नहीं रहा गया । बोला :
"फूलगुड़ी के धेवा आन्दोलन के बारे में पिताजी से सुना था, हे कृष्ण ! पिताजी वहाँ गये भी थे : अफ़ीम की खेती बन्द करने के लिए । हे कृष्ण, लोग अस्त्र-शस्त्र लेकर उठ खड़े हुए थे । अफ़ीम की खेती तो एक बहाना-भर था। वह दरअसल आजाद होने की इच्छा थी। वहां सिंगर साहब को हत्या कर दी गयी थी। हे कृष्ण, लोग एकजुट होकर बढ़ते चलें तो डर नहीं है। इसके लिए तो चींटी से लेकर हाथी तक को एकजुट होकर रहना पड़ेगा।"
यही तो मैं उस समय से कह रहा हूँ, कोंवरजी। चींटियाँ यदि एक साथ बह जायें तो भी मरती नहीं हैं । लयराम और धनपुर में किसकी ग़लती अधिक है, इसका विचार बाद में किया जायेगा। किन्तु अभी काम का समय है।" कहता हुआ भिभिराम एकाएक ठिठक गया। उसकी नजर कहीं दूर जा अटकी थी। गोसाई के पास सिमटकर फुसफुसाया, "ज़रा उधर तो देखिये । लगता है, सिपाही ही हैं। इसी ओर चले आ रहे हैं।"
गोसाईंजी का ध्यान पहले ही उधर जा चुका था । धीरे से बोले :
"हमें बातें बन्द कर चुपचाप चलना चाहिए, यही अच्छा होगा । अब छिपने की कोशिश करने पर वे सन्देह करेंगे।"
तीनों चुपचाप आगे बढ़ते हुए फौजियों के पास पहुँचे । संख्या में पाँच थे वे ।
मृत्युंजय /75