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________________ किया और गठरी से धोती आदि निकालकर पहनने लगा। किसी ने उस ओर ध्यान न दिया। वह गुनगुना रहा था : "मरिबार बेला ईटो अजामिले नारायण नाम लेइले कोटि जनमरो जैत महापाप तारो प्रायश्चित भइल" सभी चुप । तभी मधु केवट आकर बोला : "प्रभु ! माताजी आपको भीतर बुला रही हैं।" गोसाईंजी ने कहा : "हाँ, उन्हें ही चाय लाने को कह दो। कोई बात नहीं है। और कह देना, भोजन तीन जन के लिए और बनेगा।" दधि बरदलै ने कहा : "नहीं-नहीं, गोसाइंन जी क्यों कष्ट करेंगी ? हम लोग स्वयं अपनी व्यवस्था कर लेंगे।" "नहीं दधि," गोसाईं जी बोले "आज कई जरूरी बातें करनी हैं। तुम थोड़ा हाथ बँटा देना, बस, सब हो जायेगा। आपके लिए भी सबके साथ चलेगा न भगत जी ?" "माणिक बॅरा ने उत्तर दिया : "जब से स्वराज्य के लिए वॉलण्टियर बना हूँ तब से नीति-नियमों में भी शिथिलता आ गयी है। बुरा हुआ क्या प्रभु ?" "बुरा क्यों, अच्छा ही हुआ-" थोड़ी देर वे सोचते-से रहे । उसके बाद बोले : "देश में सचमुच धर्म तो रहा ही नहीं । केवल नाम के नीति-नियम हैं। इन्हीं का आधार लेकर लोग ब्राह्मण बन जाते हैं, भगत बन जाते हैं, मौलवी-मुल्ला बन जाते हैं। वास्तविक धर्म तो होता है मानव धर्म। मानव का दुख निवारण करने के लिए ही बुद्ध का अवतार हुआ। महापुरुष शंकरदेव और महाप्रभु चैतन्य ने भी मानव-प्रेम पर ही बल दिया। मानव के अन्तर में ही ईश्वर है। ईश्वर के विषय में उन्होंने कुछ कहा ही नहीं; 'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय' को ही अपना एकमात्र धर्म बताया।" गोसाईजी फिर अपने में खो रहे। कई मिनट बाद बोले : “मैं देश में चौदह वर्ष घूमा हूँ। स्थान-स्थान पर प्रवास करते समय अनुभव में यही आया कि मठ-मन्दिर और मसजिद-गिरजे में केवल पुरोहित-मौलवी और पादरी का वास होता है, भगवान का नहीं। भगवान दुखी और निर्धन के साथ रहते हैं । देश के जन-जन से प्यार, दुखियों के लिए अपना जीवन तक उत्सर्ग कर देना : यही वास्तव में हम सबका युग-धर्म है।" मुसकराते हुए एक दृष्टि धनपुर की ओर डालकर उन्होंने आगे कहा : "इन्होंने अपने मन की बात साफ़-साफ़ कह दी, यह मुझे अच्छा लगा। सत्य को मान लेने से धर्म को समझना सरल हो जाता है। भगवान इस समय देश से मृत्युंजय | 29
SR No.090552
Book TitleMrutyunjaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBirendrakumar Bhattacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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