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________________ "उसी जगह बन्दूकें भी गाड़ी गयी थीं।" रूपनारायण भौंचक्का रह क्या । टिको चला गया। रूपनारायण कुछ देर तक वहीं रुका रहा। बाद में वह पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया। चाँदनी रात थी फिर भी वहाँ अँधेरा था। वह सोच रहा था—यह कामेश्वर का ही काम हो सकता है। विश्वासघाती कहीं का ! इस जैसे लोग भी अच्छे-भलों के बीच छुपे रहते हैं। थोड़ी ही देर हुई थी कि टिकौ लौट आया। उसने बताया : । "जिसका सन्देह था, वही हुआ । कामेश्वर ने क़रीब दस पुलिसवालों को साथ लेकर उस गड्ढे की खुदाई की है। मैं बिलकुल निकट तक चला गया था। उनकी बात अच्छी तरह समझ नहीं सका। पर अभी वे उस गड्ढे तक नहीं पहुंचे हैं जिसमें मृतकों को गाड़ा गया है । शइकीया भी है । वह ज़ोर-ज़ोर से बतिया रहा था। पानीखेत से उड़ाकर लायी गयी बन्दूकों के बारे में भी वह जान गया है। उन्हें पाने के लिए उसने आदमी भी भेजे हैं। इतनी बातें तो मैं अपने कानों से ही सुनकर आ रहा हूँ।" "पुलिसवाले कितने हैं ?' रूपनारायण ने पूछा। "पुलिस नहीं, मिलिटरी है। एक दर्जन से भी अधिक।" रूपनारायण ने आह भरते हुए कहा, "तब तो इनसे मुक़ाबला नहीं कर पायेंगे । चल कैम्प तक चलते हैं । वहीं जाकर कुछ सोचेंगे।" "कैम्प तक चलोगे?" टिको ने पूछा। "क्यों?" "कामेश्वर कैम्प को बात भी जानता है । वहाँ भी आदमी भेज सकता है।" रूपनारायाण अवाक् हो गया टिकौ ने कहा, "मैं एक तिरछी राह से वहाँ तक जाकर पहले देख आता हूँ। तू यही ठहर।" रूपनारायण वहीं बैठ गया । टिको चला गया। रूपनारायण अधिक चिन्तित हो उठा। पता नहीं सारे नेता कहाँ हैं ! इस क्रान्ति का क्या होगा ! मध और दूसरे साथियों का क्या होगा ! वैसे वे इतने कच्चे नहीं हैं : पकड़े जाने पर भी उनसे बन्दूकें नहीं मिल सकेंगी। पहले ही कहीं ठिकाने लगा देंगे वे । बन्दूकों के साथ नहीं पकड़े जायेंगे। पर अब मैं क्या करूँगा?हातीचोङ के आदमियों की आँखों में धूल झोंककर शइकीया को कामेश्वर भला इधर ले कैसे आया ? हो सकता है, नेताओं की सभा होने की बात संघकर ही वह मायङ से यहाँ आया होगा। अधिकांश नेता तो पकड़ ही लिये गये हैं । जो बचे है, ऐसी हालत में वे यहाँ में निश्चय ही निकल गये होंगे । क्या कह सकते; भाग भी गये हों । पर यहाँ से भागकर जायेगे कहाँ ? या फिर वे भी गिरफ्तार हो 218 । मृत्युंजय
SR No.090552
Book TitleMrutyunjaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBirendrakumar Bhattacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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