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________________ बारह ename डिमि गांव लौटी। वह डिलि वगैरह को धनपुर की चिता सजाने के लिए बुलाने आयी थी। लेकिन डिलि को पुलिस पकड़कर ले गयी थी-हाथों में हथकड़ी डालकर । नोक्मा, गारोगाँव के मुखिया, को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। गाँव के सारे लोग भाग चुके थे। कहीं कोई दीया तक नहीं टिमटिमा रहा था। चारों ओर मरघटी सन्नाटा छाया हुआ था। डिमि सारे गाँव में चिल्लाती फिरी : “सारा गाँव कहाँ मर गया है ? क्या यहाँ कोई मर्द नहीं रह गया ? कोई हो तो निकल आये। किसी की चिता सजानी wo डिमि इसी तरह चीखती-पुकारती नोक्मा के घर पहुंची। दो दिन पहले जहाँ सारा गाँव उत्सव मना रहा था वहाँ भयानक सन्नाटा छाया हुआ था। डिमि को देखकर मुखिया का कुत्ता भौं-भौंकर दौड़ा। वह अपने मालिक के पकड़े जाने पर अपनी दयनीय स्थिति पर रो-बिसूर रहा था शायद। घर में कोई था नहीं। सब भाग गये थे। मुखिया के यहां से वापस आकर डिमि ने पास-पड़ौस भी झांक लिया; कहीं भी किसी आदमी की परछाईं तक नहीं मिली। चारों ओर अजीब-सी मुर्दनी और चुप्पी थी। हताश होकर उसने घर लौट जाना ही उचित समझा। अंधेरा बढ़ता जा रहा था। घर के आंगन में उसे शइकीया खड़ा हुआ मिला । वह हैरत में पड़ गयी। वह जब तक कुछ पूछती, शइकीया ने ख द आगे बढ़कर कहा : “मैं तुम्हें इतना बताने आया था कि धनपुर की लाश पुलिस ले जा चुकी है।" सुनते ही डिमि को चक्कर आ गया। पिछले कई दिनों से वह बुरी तरह परेशान रही थी। लेकिन अपनी भूख-प्यास और घुटन को भुलाकर वह भागदौड़ करती रही। उसने अपने आपको किसी तरह संभाला। फिर घर के भीतर चली गयी। उसे लगा, वह किसी दूसरे के घर में तो नहीं घुस गयी। कमरे की सारी चीजें इधर-उधर बिखरी हुई थीं । उमस भरे कमरे में अंधेरा
SR No.090552
Book TitleMrutyunjaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBirendrakumar Bhattacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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