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fsfer के घर के पिछवाड़े से ही जंगल शुरू हो जाता था । वह आगे-आगे चल रही थी। कुछ दूर आगे बढ़ी ही थी कि थर-थर काँपने लगी । उसने ऊपर से कोई शाल नहीं ओढ़ रखा था । धनपुर ने उसका दिया गारो कुर्ता ही उसे देना चाहा । वह आगे बढ़ा और डिमि के साथ हो गया । धीरे से बोला :
"तुम्हें ठण्ड नहीं लग रही ? ऐसे क्यों चली आयीं ! लो अपना यह कुरता डाल लो ।”
"भला यह भी कोई ठण्ड है ? ऐसी कितनी ही सर्दी-गर्मी से इस देह को जूझना पड़ता है। इस कुर्ते के पहनने का मतलब होगा ठण्ड से डर जाना । फिर अगर पहन लिया तो उतारने को जी भी नहीं करेगा ।" और वह हँस पड़ी ।
पेड़ों से छन-छनकर आनेवाली चाँदनी में उसकी हँसी चाँदी के फूलों की तरह झलक रही थी ।
"उतारने की ज़रूरत भी क्या है। पहने रहना ।" धनपुर ने कहा और वह गारो कुर्ता उतारकर देने लगा । डिभि ने हाथ बढ़ाकर उसे रोकते हुए कहा : "ज़िद न करो। मेरे ऊपर से ऐसे कई मौसम इसी तरह गुज़र जायेंगे, जैसे अव तक गुज़रते रहे हैं ।"
इस बीच एक उल्लू दोनों के सामने से तेजी से उड़ता चला गया और अपनी कर्कश आवाज़ पीछे छोड़ गया । दोनों ने एकबारगी चौंककर ऊपर देखा । वहाँ उल्लू तो नहीं, चाँद दीख पड़ा। वह अब भी तेजी से बढ़ता हुआ लगा ।
धनपुर ने कहा : "विवाह के पहले दिन दैयन की जो मांगलिक रस्म होती है, जिसमें कलश पर हल्दी चढ़ायी जाती है, उसमें दूल्हे को उल्लू की आवाज़ सुननी पड़ती है । लेकिन अधिकतर दूल्हे न तो उल्लू को पहचान पाते हैं और ना ही यह जानते हैं कि उल्लू दर्शन का क्या मतलब है । मैंने अपने एक साथी को बताया था कि उल्लू सब पक्षियों का राजा है और उसका काम घड़ी की तरह ही अँधेरा छँटने की सूचना देना है। लेकिन वह बेचारा भी क्या जाने कि दैयन क्या बला है। और दूल्हे की देह में दही - उबटन लगाने का क्या अर्थ है ? लोगों का विश्वास ही तो है कि इससे शुभ होता है ।"
उस समय दैयन की बातें सुनने का धैर्य किसी में नहीं था । औरों के मन में एकमात्र चिन्ता थी कपिली को पार करने की । डिमि की बात अलग थी । धनपुर बातों के प्रति उसे बहुत लगाव था । कहने लगी :
"तुम्हारे ब्याह में दैयन देखने की बात सोचती हूँ । लौटते ही ब्याह रचा लेना, हाँ । कामपुर के गोसाईंजी के यहाँ किसी के ब्याह में गयी थी। वह दैयन का ही दिन था। थोड़ी रात बीतने पर ही लड़कियों में ग़ज़ब की प्रसन्नता और चहलपहल दीख रही थी । वे इस ताक में लगी थीं कि कौन किधर सो रहा है। नयी-नयी युक्ति निकालतीं वे - किसकी मूंछ में दही लगाने से
हँसी-मज़ाक़ ज्यादा होगा ।
मृत्युंजय / 127