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________________ सोचना । सुनो, मेरे काम के बारे में किसी को नहीं कहना। मैं लौटकर तुम्हारे घर में रुकंगा। तभी बातचीत होगी।" डिमि को राहत मिली। “लौटकर सचमुच आओगे न ?" "आऊँगा।" तभी गोसाई जाकर धनपुर के समक्ष खड़े हो गये। पूछने लगे : "किसके बारे में बातचीत कर रहे थे तुम लोग?" डिमि इस बीच संभल गयी। उसने हंसते हुए कहा : "सुभद्रा के बारे में। धनपुर कह रहा था कि स्वराज्य पाने के बाद वह नदी किनारे एक घर बनायेगा । सुभद्रा भी साथ ही रहेगी।" गोसाई ने एक दीर्घ उच्छवास छोड़ा और बोले : "इन हवाई किलों के बनाने की बात अभी छोड़ो। अभी असली मुद्दे पर ही सोचो। मायड में दमन-चक्र शुरू हो गया है। वह कुत्ता मुझे एक झुरमुट तक ले गया था । जानते हो, वहाँ मुझे कौन-कौन मिले?" , "कौन मिले?" धनपुर की आवाज़ में उत्सुकता थी और दृष्टि में कुतूहल । ___"अपनी पत्नी, राजा की पत्नी और, और भी कई महिलाएँ। वे सब डरके मारे भाग आयी हैं। बहुत सारे आदमी गिरफ्तार कर लिये गये। लयराम की खोज में शइकीया ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। वह अभी लयराम को खोज नहीं पाया है। दधि ने उसे छिपा रखा है, किन्तु बानेश्वर राजा पकड़ लिये गये हैं। दधि भूमिगत हो गया है। हमारे नाम पर भी गिरफ्तारी का परवाना है।" बोलते समय गोसाई को थोड़ी हफनी आ रही थी। वे यह भी सोच रहे थे कि डिमि के सामने ये सारी बातें करना ठीक हुआ या नहीं। अन्ततः उन्होंने स्पष्ट रूप में पूछा : "तुम हमारे साथ हो न, डिमि?" "क्यों नहीं रहूँगी? जहाँ धनपुर है, वहीं मैं भी हूँ।" "तब जाओ। गोसाइन वगैरह आ रही हैं, उन्हें आगे बढ़कर यहाँ लिवा लाओ। आज रात तुम यहाँ रह सकोगी क्या ?" "क्यों?" डिमि ने आश्चर्यपूर्वक पूछा। "मेरे गाँव में पूजा जो है, इसलिए क्या?" ___ "नहीं, डिमि, यह बात नहीं है। दरअसल ये सब भयभीत हो गयी हैं । तुम्हारे रहने से इन्हें साहस मिलेगा। पर हाँ, पूजा की भी तो बात है।" कहते हुए गोसाईं कुछ उद्विग्न-से दीखे । तभी धनपुर बोल उठा : ____ "मैं भी इसे यहाँ रखने के पक्ष में नहीं हैं। इसके यहाँ रह जाने पर गारो गाँव में यह बात यों ही फैल जायेगी। वह अच्छा नहीं होगा।" कुछ क्षण चुप रहने के बाद फिर बोला, "एक बात की जाये तो कैसा रहेगा? अभी दूर तो गये नहीं 114 / मृत्युंजय
SR No.090552
Book TitleMrutyunjaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBirendrakumar Bhattacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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