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________________ हैं, क्यों न हम आहिना कोंवर को ही वापस यहाँ भेज दें?" मन को अस्थिरता के कारण गोसाईं कुछ भी निश्चय नहीं कर पा रहे थे। मायङ की घटनाएँ उन्हें विचलित कर रही थीं। किन्तु अब भी इस काम में कोई व्यवधान उपस्थित नहीं हुआ था। अभी तक जो गिरफ्तारियां की गयी हैं, वह भारत-सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत ही हुई हैं। निश्चय ही पुलिस को हमारी इस योजना की टोह नहीं मिली है। पुलिस कमारकुची और गारोगांव में भी आ सकती है। ऐसी ही अधिक सम्भावना है। इसलिए आहिना कोंवर को यहाँ रखना बुरा नहीं रहेगा । उन्हें भी यह ठीक लगेगा। आहिना पर परवाना जारी न होने की बात भी दधि ने लिखी है। इसलिए यही उचित होगा । जयराम पर भी परवाना जारी नहीं हुआ है, किन्तु वह उससे बचा नहीं रहेगा। आजकल में उसकी गिरफ्तारी का भी परवाना निकल जायेगा। यह सब सोचते-विचारते अन्त में बोले, "अच्छा, तो वही करो। जाओ डिमि, आगे बढ़कर उन सबको वहाँ लिवा लाओ।" डिमि जब चली गयी तो धनपुर ने कहा : "गारोगांव में यही एकमात्र सहारा है। इसलिए मैं इसे यहाँ रखकर नहीं जाना चाहता। लौटती बार हम गोवर्द्धन पहाड़ होकर आयेंगे। तब इधर आना नहीं पड़ेगा। लेकिन गारोगाँव में एक बार मुझे ज़रूर जाना होगा। वहाँ डिमि के घर पर ही रुकगा। मैंने उससे वादा किया है। और हाँ, ये बन्दुकें नोक्मा की हैं । उसे बन्दूकें नहीं लौटाने पर हम से उसका विश्वास उठ जायेगा।" गोसाईं हँस पड़े। बोले, “यह भी जान लो धनपुर, भागने के लिए केवल एक ही रास्ता है। कौन जानता है कि उस रास्ते से भागने में क्या संकट खड़ा हो जाये। दोनों बन्दूकों की बातों पर ज्यादा जोर नहीं देना । हाँ, गारोगांव में रुकना नो पड़ेगा ही। वहीं से सुरक्षित स्थान की भी खोज करनी होगी। मायङ में दमनचक्र चालू हो गया है, यह बहुत गड़बड़ हुआ। खैर, अब चिन्ता करके भी इसे गेका नहीं जा सकता। मैं झटपट तैयार होता हूँ।" "आप एक कप चाय तो पी लीजिये । डिमि अभी-अभी पानी गरम कर वहीं रख गयी है।" ___ "चाय की आवश्यकता नहीं है, धनपुर !" गोसाई की दृष्टि कहीं दूर जा लगी थी। “अव और देर नहीं की जा सकती। केवल खाँसी उठने का ही डर है मुझे। इधर ठण्डक भी थोड़ी बढ़ गयी है । एक ख राक मकरध्वज है, पर इसे कल के लिए रख छोड़ता हूँ। ज़रूरी है न, क्या कहते हो ?" "हाँ, ज़रूरी है" धनपुर अपनी दृढ़ता-भरी आवाज़ में बोला। थोड़ी देर बाद गोसाईं अन्दर चले गये। बाहरी फाटक पर महिलाओं के मृत्युंजय | 115
SR No.090552
Book TitleMrutyunjaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBirendrakumar Bhattacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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