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योगसार टीका । [२४३ प्रतिपक्षी आठ दोपॉम बचे । बानि, कुल, धन, अधिकार, रूप, चल, विया. तप, आठ प्रकार मद न करे | देव, गुरु, लोकमाता त्यागे! कुंदेव, कुसुम, कुशास्त्र व इनके तीन प्रकारके संबक इन छः अनायतनोंका सत्रच भक्तिपूर्वक न करे । अहिंसा, सत्य, अचौक, ब्रह्मचय, परिग्रह त्याग इन पांच प्रतीक एकदश साधनका अभ्यास करे। देवपूजा, गुरुभक्ति, म्यान्याय, तप, संयम, दान, इन छ: कमौका नित्यप्रनि पालन करें ।
(२) व्रत प्रतिमा-पांच अगुवनोंको दोष रहिन पाले, दित्रत, दावन, अनर्थदण्ड व्याग, इन तीन गुणत्रनोंको व सामायिक, प्रोष धोपचाम, भौगोपभोग रिसा व अनिधि सविना ने चार शिक्षा ब्रोंको पालनेका अभ्यास करे |
(३) सामायिक मनिमा-नीन मन्याओंमें सरे, दुपहर, झाम, समभानम या शांतभावस म्यानुभवका अभ्यास करे व समट्रेप छोड़े।
(1) मोषध प्रतिमा-महीनेमें चार दिवस दो अष्टमी दो चौदस अवास करें।
(५) सचित्तत्याम प्रतिमा-जीब सहित सचित्त भोजनपान नहीं करें।
(६) रात्रिभोजन त्याग प्रतिमा-रात्रिको न आप भोजनपान करे न दृमरोंको कराये |
(७) ब्रह्मचर्य प्रतिमा-मन, वचन, कामसे ब्रह्माचर्य पाले। स्वस्तीस भी विरक्त होजावे ।
(८) आरम्भत्याग प्रतिमा-खेती व्यापारादि आरम्म नहीं कर, आरम्भी हिंसा छोड़े।
(९) परिग्रहत्याग प्रतिमा--भूमि, मकान, धनादि परिग्रह