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________________ व्रत कथा कोष f ६६६ तरह से पालन किया, व्रत का उद्यापन किया, अंत में समाधिपूर्वक मरकर स्वर्ग में स्त्रीलिंग का छेद करके देव हुई, प्रागे मनुष्य-भव धारण कर मोक्ष में चली गई । यह व्रत को पालन करने का फल है । अथ सर्वार्थसिद्धि व्रत कथा कोई भी अष्टान्हिका पर्व में या आषाढ़ शुक्ला अष्टमी से पूर्णिमा पर्यन्त इस व्रत को पाले, तीनों ही अष्टान्हिकाओं में व्रत का पालन करे । अष्टमी के दिन स्नानकर शुद्ध वस्त्र पहने, सर्वपूजा साहित्य हाथ में लेकर जिनमन्दिर में जावे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करके भगवान को नमस्कार करे, पीठ कर भगवान को स्थापन कर पंचामृत अभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षी व क्षेत्रपाल को भी अर्चना करे, पंच पकवान चढ़ावे । ॐ ह्रीं अष्टोत्तर सहस्र नाम सहित श्रोजिनेन्द्राय यक्षयक्षो सहिताय नमः स्वाहा । इस मन्त्र का १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, जिनसहस्रनाम पढ़े, १०८ बार णमोकार मन्त्रों का जाप्य करे, एक महाअर्घ्य हाथ में लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाबे, मंगल भारती उतारे, अर्घ्य चढ़ावे, चतुर्दशी के दिन पूजा करे, इसी प्रकार चार महिने तक पूजा करे, फिर उद्यापन करे । उस समय श्री जिनेंद्रदेव का महाभिषेक करे, प्रष्टद्रव्य पूजा करे, पांच प्रकार के नैवेद्य बनाकर २५ जगह अर्पण करे, पांच मुनियों को आहार दान देवे, उपकरण दान करे, आर्यिका ब्रह्मचारी को वस्त्रादि देवे, श्रावक-श्राविका को भोजनादि देवे, इस प्रकार इस व्रत की पूर्ण विधि है । कथा इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में प्रार्यखंड में सुरम्य देश है. उस देश में देव - पाल राजा अपनी लक्ष्मीमती रानी के साथ सुख से राज्य करता था, एक दिन उस नगर के उद्यान में देशभूषरण नामक महादिव्यज्ञानो मुनिश्वर आये, ऐसी शुभवार्ता राजा ने सुनी, राजा को परम हर्ष हुम्रा, राजा अपने परिवार सहित पुरजन को लेकर मुनिदर्शन के लिये गया, मुनिवन्दना करने के बाद राजा अपने परिवार सहित धर्मोपदेश सुनने के लिये मुनिराज के निकट बैठ गया, कुछ समय धर्मोपदेश सुनने के बाद रानी ने हाथ जोड़कर प्रार्थना किया कि हे देव, कोई प्रात्मकल्याण का मार्ग बताओ तब मुनिराज कहने लगे कि हे देवी, आपको सर्वार्थसिद्धि व्रत का पालन
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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