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________________ ६६४ ] व्रत कथा कोष पूर्ण किया, व्रत के प्रभाव से वह स्त्रीलिंग का छेद करते हुए, चक्रवति पद धारण कर कुछ समय सुख भोगकर दीक्षा धारण करके मोक्ष को गई। अथ शुक्रवार व्रत कथा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में प्रथम शुक्रवार और कृष्ण पक्ष के अन्तिम शक्रवार को प्रतिक स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारणकर जिन मन्दिर में जावे, साथ में पूजा की सामग्री भो ले लेवे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धि करके भगवान को साष्टांग नमस्कार करे, अभिषेक-पीठ पर जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा यक्षयक्षि सहित स्थापन कर पंचामृत अभिषेक करे, सभामण्डप को अच्छी तरह से श्रगारित कर, भगवान के आगे वेदी पर पांच रंगों से अष्टदल कमलाकार यन्त्र निकालकर चतुरस्त्र पंचमण्डल निकाले, उसके अन्दर चांवल की राशि बनाकर उसके ऊपर स्वस्तिक करे, उस स्वस्तिक के ऊपर मगल कलश को सजाकर रखे, उसके आगे एक पाटे पर १०८ स्वस्तिक निकालकर उन स्वस्तिकों पर प्रष्ट द्रव्य रखे, जिनेन्द्र भगवान की पूजा करे, जिनवाणी व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षि क्षेत्रपाल की पूजा करे, तीन सेर चांवल के आटे का नौ नैवेद्य बनावे, जिनेन्द्र को तीन चढ़ावे, पद्मावति देवी को तीन चढ़ावे, उसके आगे गलाये हुए चने का पुञ्ज रखे, पद्मावति देवी को वस्त्राभूषण चढ़ावे । ॐ ह्रीं परमब्रह्मणे अनन्तानंत ज्ञान शक्तये अर्हत्यरमेष्ठिने नमः स्वाहा । १०८ बार पुष्पों से इस मन्त्र का जाप्य करे, जिन सहस्र नाम पढ़े, णमोकार मन्त्रों का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक महाअर्घ करके हाथ में लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, मंगल आरती पढ़े, अर्घ्य चढ़ा देवे, कथा पढ़ने वाले विद्वान का सत्कार करे, घर पर आकर सत्पात्र को दान देवे, फिर अपने बाकी बचे तीन नैवेद्य खाकर एक भुक्ती करे । इस क्रम से आगे प्रत्येक महिने के शुक्रवार को पूजा करे, मध्य में खंड न पड़ते हुए तीन वर्ष तीन महिना शुक्रवार पूजा करना ये उत्तम विधि है । तीनों अष्टान्हिका के अन्दर पाने वाले शुक्रवार को पूजा करना मध्यम विधि है, इस प्रकार तीन वर्ष व्रत पालन करने के बाद उद्यापन करना, उस समय महाभिषेक, पूजा करके पांच प्रकार का नैवेद्य बनाकर चढावे, एक हजार आठ कमल पुष्प भगवान को चढ़ावे, छत्तीस साधुसंघों को आहारदानादि उपकरण देवे, ये इस व्रत को पूर्ण विधि है ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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