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________________ व्रत कथा कोष [ ६९३ भोगने लगा । किसी कारण से उन्हें वैराग्य हो गया, जिससे अपने पुत्र को राज्य देकर शिवगुप्ति केवली के पास जिनदीक्षा ली। फिर तपश्चरण के प्रभाव से उन्हें सप्तऋद्धि उत्पन्न हुई । घातिया कर्म का क्षय कर उनको केवलज्ञान उत्पन्न हुआ । श्रनेक देशों में विहार कर धर्मोपदेश दिया । शुक्लध्यान के बल से अघातिया कर्मों का क्षय किया और मोक्ष गये । वहां के अनंत सुख को प्राप्त किया । स्वाहा । सर्व संपत्कर व्रत कथा श्रावण शुक्ला अष्टमी के दिन स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा का सामान हाथों में लेकर जिन मन्दिर को जावे, मन्दिर को तीन प्रदक्षिणा देकर ईर्ष्यापथ शुद्धि करके भगवान को नमस्कार करे, अभिषेक पीठ पर चौबीस तीर्थंकर की प्रतिमा यक्षयक्षि सहित स्थापन कर अभिषेक करे, भ्रष्ट द्रव्य से तीन प्रकार का नैवेद्य सहित पूजा करे, जिनवारो की और गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षि सहित क्षेत्रपाल की पूजा करे, भगवान के सामने तीन पान रखकर उसके ऊपर अक्षत पुञ्ज रखे, उसके ऊपर फल पुष्पादिक रख कर --- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं श्रीं चतुर्विंशति तीर्थंकरेभ्यो यक्षयक्षी सहितेभ्यो नमः इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप करे, इस व्रत कथा को पढ़े, एक थाली में नारियल सहित अर्घ तैयार कर हाथ में लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाते हुए मंगल आरती उतारे, प्रर्व चढ़ा देवे, उस दिन उपवास करे, संध्याकाल में सहस्रनाम पढ़कर दोप-धूप से पूजा करे, दूसरे दिन चतुविध संघ को दान देकर स्वयं पारणा करे, इस प्रकार अष्टमी व चतुर्दशी पूजा करते हुए नौ पूजा व्रत करे, व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन करे ( श्रावण महीने की ४, भाद्र की ४ और एक प्राश्विन शुक्ल अष्टमी को ) उद्यापन के समय एक प्रतिमा चौबीस तीर्थंकर की यक्षयक्षि सहित नवीन कराकर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करे, पांच प्रकार का नैवेद्य बनाकर नौ-नौ अर्ध सहित क्रम से देव, शास्त्र, गुरु आदि को चढ़ावे । चतुविध संघ को दान देवे, आवश्यक उपकरण दान करे, इस प्रकार व्रत की विधि है । पहले इस व्रत को रत्नभूषरण नगर में रत्नशेखर राजा की पट्टरानी रत्नमंजूषा ने भगवान महावीर के समवशरण में धारण किया, उसने कालानुसार व्रत को
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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