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प्रत कथा कोष
करे, पंचकल्याण के अर्घ्यपूर्वक पूजा करे, यक्षयक्षणी व क्षेत्रपाल की भी पूजा करे, पंच पकवान चढ़ावे ।
___ॐ ह्रीं अहं श्री आदिनाथाय गोमुख चक्रेश्वरी यक्ष यक्षि सहिताय नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करें, णमोकार मन्त्र का भी १०८ बार जाप्य करे।
____ॐ ह्रीं अहं श्रीमते नमः स्वाहा, ॐ ह्रीं अहं स्वयंभवे नमः स्वाहा, ॐ ह्रीं अहं वृषभाय नमः स्वाहा इत्यादि १००८ नाम के मन्त्र बोलकर अर्घ्य चढ़ावे, उसी प्रकार इन मन्त्रों का एक सौ पाठ पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, सहस्रनाम पढ़े, स्वाध्याय करे, व्रत कथा पढ़े, उसके बाद शास्त्र व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षिणी व क्षेत्रपाल की पूजा करे, एक थाली में नारियल सहित अर्घ्य लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे अथवा एकाशन करे । इस प्रकार इस व्रत को एक वर्ष करके उद्यापन करने वाले को सात भव से मोक्ष होता है, दो वर्ष व्रत करके उद्यापन करने वाले को पांच भव से मोक्ष, तीन वर्ष व्रत करके उद्यापन करने वाले को तीन भव से मोक्ष होता है, इस व्रत में १००८ उपवास करने होते हैं अथवा इतने ही एकाशन करने होते हैं, व्रत को पूरा होने पर उद्यापन करे, उस समय सहस्र नाम विधान करे, एक हजार आठ नैवेद्य चढ़ावे, उतने ही कमल पुष्प चढ़ावे, एक हजार आठ कलशों से महाभिषेक करे, चारों प्रकार के संघ को चार प्रकार का दान देवे, एक ही दिन में सर्व पूजा करे । इस व्रत में राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े।
अथ स्नेहनय व्रत कथा विधि :-पहले के समान सब विधि करें, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ शु. १४ को एकाशन करे १५ के दिन उपवास करे, णमोकार मन्त्र का जाप दो बार करे, दो दम्पतियों को भोजन कराये ।
कथा पहले विजयपुर नगरी में विजयसेन राजा अपनी प्रिय प्राणवल्लभा पटरानो विजायवती सहित रहता था। उसका प्रधान मन्त्री जयवंत, उसकी पत्नी