SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 740
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्रत कथा कोष [ ६८१ दीप जलावे, पंचपरमेष्ठी की प्रतिमा स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, पंचपरमेष्ठि की पृथक्-पृथक् जयमाालपूर्वक पूजा करे । ॐ ह्रीं श्रीं गर्भावतार कल्याण पूजिताय श्री जिनेन्द्राय नमः स्वाहा । ॐ ह्रीं जन्माभिषेक कल्याण नमः स्वाहा । इसी प्रकार पांचों कल्याणक के मन्त्रों से क्रम से भ्रष्ट द्रव्य से पूजा करे । श्रुत व गुरु की पूजन करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे, पंच पकवान चढ़ावे । ॐ ह्रीं सिा उ सा पंचकल्याण पूजितेभ्य श्री जिनेन्द्र भ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का जाप्य करे, सहस्रनाम पढ़े, व्रत कथा पढ़े, स्वाध्याय करे, अर्ध्य के साथ नारियल रखकर पूर्ण अर्ध्य चढ़ावे, मंगल प्रारती उतारे, उस दिन उपवास करे सत्पात्रों को दान देवे, दूसरे दिन दान पूजा करके स्वयं पारणा करे, तीन दिन स्वयं ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे । इस प्रकार पांच दशमी को व्रत करके अन्त में उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठी विधान करके महाभिषेक करे, चतुर्विध संघ को दान देवे । राजा सुग्रीव ने किया था, उस के फलस्वरूप इस व्रत का पालन अन्त में मोक्ष को गया । कथा श्रेणिक राजा व चेलना रानी की कथा पढ़े । सीतादेवी व्रत कथा कोई भी नन्दीश्वर, भ्रष्टान्हिका पर्व में पंचमेरु की स्थापना कर विधिपूर्वक पंचामृताभिषेक करे, मण्डल मांडकर पंचमेरु की स्थापना कर अष्टद्रव्य से पूजा करे, प्रत्येक मेरु की अलग-अलग प्रतिमानों की पूजा करे, अस्सी जिनालयों की पूजा करे । ॐ ह्रीं पंचमन्दिर स्थित जिनचैत्य चैत्यालयेभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षिणी की पूजा करे, क्षेत्रपाल की पूजा करे, व्रत कथा पढ़े, एक महा अर्घ्य हाथ में
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy