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________________ व्रत कथा कोष तब सत्यभामा शरमायी, उसको अपने कृतकृत्य का पश्चाताप हुआ । फिर दोनों एक हो गयीं । दोनों वनक्रीड़ा कर अपने-अपने महल में गयों। थोड़े दिन के बाद दोनों को गर्भ रहा एक ही दिन दोनों के पुत्र उत्पन्न हुये । यह बात बताने के लिये दोनों की दासियां कृष्ण के पास गयीं। कृष्ण सोये हुये थे इसलिए सत्यभामा की दासी सिर के पास व रुकमणी की दासी पैर के पास खड़ी थी, उठते ही कृष्ण की दृष्टि रुकमणी की दासी की अोर गयी, इसलिए उसे पहले रुकमणी के पुत्र-जन्म का पता लगा। पूर्व के वैर से धूमकेतु असुर ने रुकमणी को मायावी निद्रा में सुला दिया, उसके लड़के का हरण किया और उसे एक जंगल में पत्थर के नीचे रखा । पूर्वपुण्य से एक विद्याधर अपने विमान से जा रहे थे । पर उनका विमान उस स्थान पर एकाएक रुक गया । उस विद्याधर ने नोचे आकर देखा तो उसे पत्थर के नीचे एक छोटा-सा बालक दिखाई दिया। उसकी स्त्री कांचनमाला पुत्रहीन थी, इसलिए उस विद्याधर ने उससे कहा “अपने पुण्य उदय से ही यह पुत्र हमें मिला है। इसलिए इसे तू ग्रहण कर । तुझे गुप्त गर्भ था और रास्ते में पुत्र उत्पन्न हुअा है, ऐसा सब को कहेंगे।" बच्चे को देखते ही कांचनमाला को प्रेम उमड़ पाया। उसने उसे उठा लिया । अपने राज्य में प्राकर पुत्र उत्पन्न होने का उत्सव मनाया और उसका नाम पद्य म्न रखा । वह लड़का धीरे-धीरे बढ़ने लगा। इधर रुकमणी की निद्रा खुली तो शय्या पर बच्चे को नहीं देखा जिससे उसकी तलाश शुरू हुई । पर बच्चा कहीं भी नहीं मिला । रुकमणी दुख से चूर हो गई । यह कृष्ण को मालूम हुआ, उन्हें लगा कि मैं इतना बलवान हूँ, फिर भी मेरे पर यह आपत्ति कैसे आयी । इसका उसे आश्चर्य हुमा। पर कर्म के आगे किसी की चलती नहीं है। कृष्ण ने रुकमणी को बहुत समझाया। बहुत समय के बाद नारद वहां प्राये, वे बालक को ढूढ़ने पूर्व विदेह में गये। उन्होंने सीमन्धर स्वामी के दर्शन किये और प्रश्न पूछा, तब उन्होंने कहा "पूर्व भव का वैरी उसे ले गया था और उसे एक पत्थर के नीचे रखा, वहां से विद्याधर जा रहा था वह उसको अपने नगर ले गया है । तब नारद उस नगर में गया, वहाँ के राजा ने उसका स्वागत किया और
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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