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व्रत कथा कोष
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समवशरण व्रत
इस व्रत के २४ उपवास होते हैं, प्रत्येक महिने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को होता है, इसे एक वर्ष तक करना चाहिये अर्थात २४ उपवास हो जायेंगे । इस व्रत में ॐ ह्रीं सकलाघविनाशाय सकलगुणकराय श्री सर्वज्ञाय प्रर्हत्परमेष्ठिने नमः इस मन्त्र का जाप करना चाहिए ।
- क्रिया कोष
सम्यक्त्व पंचविंशति व्रत
तृतीया के तीन, अष्टमी के आठ, चतुर्थी के प्रकार २५ प्रोषघोपवास करना चाहिए । व्रत समाप्ति के
प्राठ और षष्ठी के छः इस बाद उद्यापन करना । - गोविन्दकृत व्रत निर्णय
सर्वतोभद्रत व्रत
यह एक श्रेष्ठ तप व्रत है, यह असामान्य जीव भी कर सकते हैं । इस व्रत का उपवास क्रम -
प्रथम एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पाररणा, चार उपवास एक पारणा, पांच उपवास १ पारणा । तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, उसके बाद पांच उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पाररणा, चार उपवास एक पाररणा, तीन उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पाररणा, फिर पांच उपवास एक पाररणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, पांच उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारगा, इस प्रकार ७५ उपवास व २५ पारणे अर्थात ७५+२५= १०० । इसलिये १०० दिन में यह व्रत पूरा होता है ।
- गोविन्दकविकृत व्रत निर्णय
इसकी दूसरी विधि :-- इसका प्रथम एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास १ पाररणा, पांच उपवास एक