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व्रत कथा कोष
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+६+६+६+६+८) इसके बाद ६ प्रोषध उपवास और फिर ७ प्रोषध करना चाहिए । फिर ५+३+४+३+३+१ इस प्रकार ३५० उपवास व ५४ पारणा प्रर्थात् ४०४ दिन में व्रत पूर्ण होता है ।
अथ स्तेयानन्द निवारण व्रत कथा विधि :-पहले के समान सब विधि करे । वैशाख शु. ७ के दिन एकाशन और अष्टमी के दिन उपवास करे। नवदेवता पूजा, अर्चना, मन्त्र, जाप आदि करे ।
अथ सुदर्शन सेठ व्रत कथा इस जम्बूद्वीप में भरत क्षेत्र में कुथुल कर्नाटक नामक एक विस्तीर्ण देश है, उसमें रायबाग नामक नगर है, उसमें बंकसेन नामक राजा राज्य करता था, उसको पत्नी लक्ष्मीमति थी, उसका धनसेन नामक पुत्र था। उसके अलावा मन्त्री, पुरोहित, राजश्रेष्ठी, सेनापति आदि थे।
एक दिन श्री गुणभद्राचार्य चर्या के निमित्त से राजघराने की अोर पाये । राजा ने उन्हें पडगाहन किया और नवधाभक्तिपूर्वक आहार दिया । निरंतराय आहार हो जाने पर महाराज एक उच्च आसन पर विराजमान हुये । धर्मोपदेश सुनने के बाद राजा ने कोई एक व्रत बतायो ऐसा कहा तब उन्होंने सुदर्शन श्रेष्ठी व्रत पालन करने को कहा । इस व्रत की विधि कहता हूँ सो सुनो।
व्रत विधि-१२ महीने में से कोई भी महीने के शुक्ल पक्ष की या कृष्ण पक्ष की १०मी के दिन एकाशन करे। ११ के दिन उपवास करे। दूसरी सब विधि पहले के समान करे । अन्तर केवल इतना है कि वेदि पर नवदेवता को प्रतिमा विराजमान करे।
जाप--ॐ ह्रीं अहं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु जिनधर्म जिनागम जिनचैत्य चैत्यालयेभ्यो नमः स्वाहा।"
इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे ।
इस प्रकार नव पूजा पूर्ण होने पर उद्यापन करे । उस समय नवदेवता विधान कर महाभिषेक करे । चतुःविधि संघ को आहारदान आदि दें। अनाथों को करुणा दान दे । नव दम्पति को भोजन करावें।