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________________ ६४६ ] व्रत कथा कोष आठ उपवास एक पारणा, छः उपवास एक पारणा, दस उपवास एक पारणा, पाठ उपवास एक पारणा, फिर से दस उपवास एक पारणा, दस उपवास एक पारणा, पाठ उपवास एक पारणा, दस उपवास एक पारणा, छः उपवास एक पारणा, पाठ उपवास एक पाररणा, चार उपवास एक पारणा, छः उपवास एक पारणा , दो उपवास एक पारणा, फिर चार उपवास एक पारणा दो उपवास एक पारणा (२+४+२+६ +४+६+६+१०+८+ १० + १० + ८+१०+६+६+४+६+२+४+२ = १२०) इस प्रकार १२० उपवास २० पारणे होते हैं । फिर से इसी प्रकार उपवास करे। फिर (२+४+२+६+४+६+६+१०+८+१०+१०+८+१०+६+ ८+४+६+२+२+२) इस प्रकार उपवास करना चाहिए । इस प्रकार (१२० + २० + १२०+२० + ११८+२० = ४१८ दिन) अर्थात् १३ महिने २८ दिन में यह व्रत पूरा होता है। मध्यम विधि :- एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, इस प्रकार नीचे लिखी सारणी के अनुसार करना । १+२+३+४+५+४+६+५+७+६+६+७+६+5+७+६+७+६ +५+६+५+ ४ - ५+३+४+२+३+१+२+१+२+१=१४५ इस प्रकार १४५ उपवास ३२ पारणे अर्थात् यह व्रत १७२ दिन में पूरा होता है । जघन्य विधि :-इसमें भी निम्न प्रकार उपवास व पारणे करने चाहिए। (१+२+३+२+४+३+५+४+५+५+४+५+३+४+२+३+१+ ३+१= ६०) अर्थात् ६० उपवास व २० पारणे इसमें होते हैं। सम्पूर्ण व्रत ८० दिन में पूरा होता है। -गोविन्द कविकृत व्रत निर्णय इसकी और भी विधियां हैं जो निम्न प्रकार हैं। (१) (१+२+१+३+२+४+३+५+४+५+५+३+४+२+३+१ +२+१) इस प्रकार इसमें ६० उपवास व २० पारणा होते हैं । इसको एक और विधि है। २+३+४+३+५.६+७+६+६+६+१०+६+११+१० १२+१३+१२ + १४+१३+ १५+१३+ १२+१३ + ११ + १२+१०+११+६+ १०
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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