SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 668
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्रत कथा कोष - [६०९ जाप :-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं चतुविंशति तीर्थकरेभ्यो यक्षयक्षी सहितेभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ पुष्प से जाप करे । णमोकार मन्त्र का जाप करे । एक पात्र में २४ पत्ते रखकर उसमें अष्ट द्रव्य रखे और नारियल भी रखना चाहिए और महार्घ्य देना चाहिए । आरती करनी चाहिए । सत्पात्र को आहारदान देना चाहिये । ब्रह्मचर्य पूर्वक समय बिताये । इस प्रकार प्रत्येक अष्टमी व चतुर्दशी के दिन करना चाहिए । नित्य क्षीराभिषेक करना चाहिए । इस प्रकार से चार महिने तक करना चाहिये, अन्त में कार्तिक शु. १५ के दिन उद्यापन करे । उस समय सम्मेदशिखरजी विधान करके महाभिषेक करना चाहिए। वृषभादि चौबीस तीर्थंकर के गर्भकल्याण, जन्मकल्याण, दीक्षाकल्याण, केवलकल्याण, निर्वाणकल्याण में ४० भवनवासी, बत्तीस व्यन्तरवासी, चौबीस कल्पवासो, एक सूर्य, एक चन्द्र, एक नरेन्द्र और एक सिंह इस प्रकार १०० इन्द्र जिनकी भक्ति करके पुण्य सम्पादन करते हैं। कथा धातकी खण्ड में मंदर नामक मेरू पर्वत है, उसके उत्तर में ऐरावत नामक एक क्षेत्र है उसमें भूतिलक नामक एक राज्य है । वहां अभयघोष नाम के नीतिवान् व पराक्रमी राजा राज्य करते थे। उनकी कनकलता नाम से रूपवती गुणवती पटरानी थी। उनसे जय विजय नाम के दो पुत्र हुए। सब परिवार सहित सुख से काल बिता रहे थे । एक दिन सिद्ध कूट चैत्यालय के दर्शन को गये थे। वहां से दर्शन करके सभा मण्डप में आये तब उन्हें चारण मुनीश्वरों के दर्शन हुए, वहाँ उनके दर्शन प्राप्त कर तथा अपने भव जानकर सुनकर आनंदित हुए। फिर कोई भी एक व्रत देने के लिए निवेदन किया तब मुनिवर ने शतेन्द्र व्रत की विधि बतायी । राजा ने यह व्रत ग्रहण किया। पश्चात् अपनी नगरी को लौटे। कालानुसार सब ने इस व्रत का पालन किया। आगे किसी निमित्त से उन्हें वैराग्य उत्पन्न हुआ। राजा ने वन में जाकर मुनिराज से जिनदीक्षा धारणा की । घोर तपश्चरण से तथा व्रत पुण्य के फल से
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy