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व्रत कथा कोष
इस मन्त्र से १०८ कमल पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, मंगल आरती पूर्वक एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, चतुर्विश तीर्थंकर की स्तुति व प्रतिक्रमण करके भगवान के सामने रखे हवन सूत्रों को स्त्रियां अपने कंठ में धारण करे, गुरु का आशीर्वाद लेकर अपने घर जावे, पुरुष लोगों को होम करके यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए।
ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्राय नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र को बोले, मुनि संघ को चारों प्रकार का दान देवे, इस व्रत में पुरुष अगर वंश परम्परा तक करता जावे स्त्रियाँ छह वर्ष तक अथवा छह महीने तक करे,
आगे उसी तिथि को व्रत करे पांच बार, अन्त में उद्यापन करे, उस समय पद्मप्रभ तीर्थंकर का विधान करके महाभिषेक करे। चतुर्विध संघ को दान देवे ।
कथा
राजा श्रेणिक और रानी चेलना की कथा पढ़े ।
अथ वास्तुकुमार व्रत कथा व्रत विधि :-चैत्र शुक्ला १ के दिन इस व्रत के करने वाले को एकाशन करना और दूसरे दिन प्रातःकाल शुद्ध जल से स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना । पूजा द्रव्य हाथ में लेकर जिनालय जायें । मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा करके भगवान को साष्टांग नमस्कार करें। पीठ पर पञ्चपरमेष्ठी स्थापित कर पञ्चामृत अभिषेक करे । प्रष्ट द्रव्य से पूजा करे । श्रुत व गणधर पूजा करके यक्षयक्षो व ब्रह्मदेव को अर्चना करना।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौं ह्रः अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्व हा ।
इस मन्त्र से १०८ पुष्प चढ़ाना । णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप करना । इसकी व्रत कथा पढ़नी । तथा एक महार्घ्य लेकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा करके मंगल आरती करना । उस दिन उपवास करना। सत्पात्र को प्राहारादि देना, दूसरे दिन ( चैत्र शु० ३ ) विधिपूर्वक वास्तु विधान करना। ४१ वास्तुकुमार की पृथक् पृथक् पूजा, नारियल चढ़ावे । सत्पात्र को आहार देकर पारणा करना । पश्चात् दूसरे दिन (चैत्र शु. ४) जल होम करना, चतुर्विध संघ को चार