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________________ ५७६ ] व्रत कथा कोष अथ व्यवहारनय व्रत कथा - व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ. ६ के दिन एकाशन करे सात को उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, णमोकार मन्त्र का जाप १०८ बार करे, पाठ दम्पतियों को भोजन करावे । वस्त्र आदि दान करे। कथा . पहले राजपुर नगरी में गजगामिनी नाम का राजा महारानी के साथ रहता था, उसका पुत्र गजकुमार उसकी स्त्री गजनती पूरा परिवार सुख से रहता था, एक दिन उन्होंने देवसेनाचार्य मुनि के पास यह व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया जिससे सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए। अथ विनयव्रत कथा व्रत विधि-पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ० १ के दिन एकाशन करे, २ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, णमोकार मन्त्र का जाप तीन बार करे, तीन दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र प्रादि दान करे। कथा पहले आनन्दपुर नगरी में सुप्रतिष्ठ नामक राजा लक्ष्मीमति महारानी के साथ रहता था, उसका पुत्र सुरेन्द्र, उसकी स्त्री, कमलावती, प्रधान नीतिसागर, उसकी स्त्री शीलवती, पुरोहित सुरकीर्ति, उसकी स्त्री कामरूपिणी, राजश्रेष्ठी लक्ष्मीकांत, उसकी पत्नि लक्ष्मीमती, पूरा परिवार सुख से रहता था। एक दिन उन्होंने मुनिगुप्ताचार्य के पास यह व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुकम से मोक्ष गए। अथ विपरीतमिथ्यात्वनिवारण व्रत कथा व्रत विधि-पहले के समान करें। अन्तर सिर्फ इतना है कि वैशाख शु० १२ के दिन एकाशन करें । १३ के दिन उपवास व नवदेवता पूजा, आराधना व मन्त्र जाप करें। पत्त माँडे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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