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व्रत कथा कोष
लब्धि विधान व्रत करने से इनको सद्गति मिलेगी।
उन तीनों स्त्रियों ने यह कथा सुनी और मुनि के पास व्रत लिया, व्रत को विधिपूर्वक किया जिससे मरकर वे स्वर्ग में देव हुई, वहां के सुख भोगकर मगध देश के वाडव नगर में काश्यप गोत्रीय शांडिल्य ब्राह्मण की स्त्री शांडिल्या के पेट से गौतम नाम से जन्म लिया । चमरी व रंगी के जीव स्वर्ग का सुख भोगकर मनुष्य पर्याय में आकर घोर तप करके मोक्ष गये। भगवान महावीर को केवलज्ञान हुआ तब इन्द्र गौतम गणधर से त्रैकाल्यं द्रव्यषट्क...वगैरह श्लोक बनाकर बाह्मण के वेश में गौतम के पास गये। पर गौतम से अर्थ नहीं हुआ। तब इन्द्र उन्हें समोशरण में लाया । वहां मानस्तम्भ देखकर उनके मिथ्यात्व का नाश हुअा व गर्व चला गया
और भगवान के चरणों में दीक्षा ली। वे तुरन्त गणधर बने और केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष गये, इसलिए प्रत्येक को यह व्रत करना चाहिए।
अथ लाभांतरायकर्म निवारण व्रत कथा पहले के समान सब विधि करे। अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ० ६ के दिन एकाशन करे, १० के दिन उपवास करे । पूजा वगैरह पहले के समान करे, णमोकार मन्त्र का जाप करे, दो दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र प्रादि दान
कथा
संगीतपूर नगरी में सूगमित्र राजा सुगंधादेवी महारानी के साथ रहता था, उसका पुत्र संगीतगोष्टी, उसको स्त्री सुमंगलादेवी, सुगुणाचार्य पुरोहित उसकी स्त्री गुणवती, पूर्णदत्त श्रेष्ठी उसकी पत्नि पूर्णदत्ता सारा परिवार सुख से रहता था। एक दिन उन्होंने भानुदत्ताचार्य मुनि के पास यह व्रत लिया तथा इसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए ।
लोकमाल व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला चतुर्थी के दिन शुद्ध होकर मन्दिर जी मैं जावे, तीन प्रदक्षिणा लगाकर भगवान को नमस्कार करे, चोबोस तीर्थंकर प्रतिमा का पंचामताभिषेक करें,