________________
व्रत कथा कोष
[ ५५६
उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, पांच उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पारणा इस प्रकार २५ उपवास & पारणे इस प्रकार हैं। यह व्रत एक ही वर्ष में करना, उपवास के दिन " णमोकार मन्त्र" का त्रिकाल
जाप करना ।
( वर्धमान पुराण के आधार सें जैन व्रत विधान संग्रह )
लब्धिविधान व्रत की विधि
लब्धिविधानस्तु भाद्रपद माघचैत्र शुक्ल प्रतिपदमारभ्य तृतीयापर्यन्तं दिनत्रयं भवति । दिनहानौ तु दिनमेकं प्रथमं कार्यम्, वृद्धौ स एव क्रमः स्मर्तव्यः ||
अर्थ : – भाद्रपद, माघ और चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर तृतीया तक तीन दिन पर्यन्त लब्धिविधान व्रत किया जाता है । तिथि हानि होने पर एक दिन पहले से व्रत करना होता है और तिथि वृद्धि होने पर पहले वाला क्रम अर्थात् वृद्धिंगत तिथि छः घटी से अधिक हो तो एक दिन व्रत अधिक करना चाहिए ।
विवेचन :- भादों, माघ श्रौर चैत्र सुदी प्रतिपदा से तृतीया तक लब्धि
विधान व्रत करने का नियम । इस व्रत की धारणा पूर्णिमा को तथा पारणा चतुर्थी को करनी होती है । यदि शक्ति हो तो तीनों दिनों का अष्टमोपवास करने का विधान है । शक्ति के प्रभाव में प्रतिपदा को उपवास, द्वितीया को ऊनोदर एवं तृतीया को उपवास या कांजी छाछ या छाछ से निर्मित महेरी अथवा माड़भात लेना होता है । व्रत के दिनों में महावीर स्वामी की प्रतिमा का पूजन अभिषेक किया जाता है तथा ॐ ह्रीं महावीर स्वामिने नमः' मन्त्र का जाप प्रतिदिन तीन बार किया जाता है । त्रिकाल सामायिक करने का भी विधान है। रात्रि जागरण तथा स्तोत्र पाठ, भजनगान आदि भी व्रत के दिनों की रात्रियों में किये जाते हैं ।
आवश्यकता पड़ने अथवा प्राकुलता होने पर मध्य रात्रि में अल्प निद्रा ली