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२ वर्ष में
३ वर्ष में
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बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक महा अर्घ्य चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, दूसरे दिन सत्पात्रों को दान देवे, इस प्रकार नौ रविवार व्रत करे और नव वर्ष पर्यंत करे । पहले वर्ष में नौ उपवास
लूगा भोजन से एकासन वो भी श्रांवली भो०
एकासन
कांजीहार
मठाभात
एकासन
गोरस छोड़कर भोजन
घी छोड़कर भोजन
एकाशन
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व्रत कथा कोष
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दूसरी विधि इस प्रकार है: - लगातार प्रत्येक रविवार को उपवास या नमक रहित एकासन करे, सब मिलाकर ८१ रविवार करे ।
इस प्रकार व्रत पूरा होने के बाद अंत में उद्यापन करे, उस समय रविव्रत उद्यापन करे ।
श्री भाऊकवि अग्रवाल विरचित
श्री रविव्रत कथा
छन्द, चौपाई ( १५ मात्रा )
ऋषभनाथ प्ररणम जिरिंगद, जा प्रसाद चित होय श्रनध्द | प्रणमों श्रजित बिनासे पाप, दुख दारिद्र हरे सन्ताप || सम्भवनाथ तनो थुति करों, जा प्रसाद दुस्तर भव तरौं । प्रभिनंदन सेऊ वर वीर, जा प्रसाद श्रारोग्य शरीर ॥
सुमतिदेव जिन पद्म सुपास, भूरि विनय करता कविदास । चन्द्रप्रभ जिन प्ररणमों तोहि, हरो कलंक देहू जस मोहि ||