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व्रत कथा कोष
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प्रोषधयुग्म का अर्थ पहले दिन एकाशन फिर दूसरे तीसरे दिनादि लगातार दो उपवास ब चौथा दिन एकाशन करे, इसी को प्रोषधयुग्म कहते हैं ।
एक उपवास एक पारणा से लगाकर १६ उपवास एक पारणा तक चढ़ावे, फिर क्रमशः ३४ प्रोषधयुग्म करे, इस प्रकार २२६ होते हैं, ६१ पारणा होते हैं, सब मिलकर २८७ दिन में पूर्ण होता है, एक बार प्रारम्भ करके बीच में खण्डित नहीं करते हुये एक सरीखा करे, व्रत की समाप्ति के बाद उद्यापन करे, पूजा दान करे ।
उत्कृष्ट रत्नावली व्रत
प्रथम प्रोषथोपवास करके भोजन करे, दो प्रोषधोपवास करके भोजन करे, तीन प्रोषधोपवास करके फिर भोजन करे, फिर एक उपवास एक पारणा से बढ़ाते हुये १६ उपवास एक पारणा करे, फिर क्रमशः चौतीस प्रोषधोपवास करे, उसी प्रकार घटाते हुये, १६ उपवास एक पारणा । १५ उपवास एक पारणा से घटाते हुये १ उपवास एक पारणा करे, फिर तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा एक प्रोषधोपवास करके भोजन ग्रहण करे ।
गये ।
इस प्रकार इस व्रत का एकान्तर उपवास ३८४ व पारणा ८८ होते हैं, व्रत के पूर्ण होने में ४७२ दिन लगते हैं, व्रत के पूर्ण होने पर अन्त में उद्यापन करे ।
कथा
इस व्रत को पहले अनेक बलभद्रादि मुनियों ने किया था, अन्त में मोक्ष को
राजा श्रमिक और रानी चेलना की कथा पढ़े ।
रात्रिभुक्तित्याग व्रत कथा
यह व्रत प्रत्येक दिन पाला जाता हैं, सूर्यास्त के डेढ़ घड़ी पहले से लगाकर सूर्योदय के डेढ़ घड़ी बाद तक चारों प्रकार का रात्रि भोजन त्याग करना, इस व्रत को प्रत्येक श्रावक को अवश्य पालन करना चाहिये, नित्यप्रति भगवान की पूजा करे, दान देवे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे ।