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________________ ४६२ ] व्रत कथा कोष पारणा, ८ उपवास एक पारणा & उपवास एक पारणा १० उपवास एक पारणा ११ उपवास एक पारणा १२ उपवास एक पारणा १३ उपवास एक पारणा १४ उपवास एक पारणा १५ उपवास एक पारणा १६ उपवास एक पारणा फिर क्रमशः दो उपवास एक पारणा इस प्रकार ३४ बार करे, अर्थात् ३४ उपवास माने ६८ उपवास ३४ पारणा करे, बाद में १६ उपवास एक पारणा, १५ उपवास एक पारणा, १४ उपवास एक पारणा इस प्रकार क्रमशः घटाते हुये एक उपवास एक पारणा तक नीचे लावे, इस प्रकार ३८४ उपवास ८८ पारणा, सब मिलकर ४७२ दिन में पूर्ण होता है। ___ इस प्रकार और भी एक विधि पाई जाती है, इसके अन्दर २८४ उपवास व ४६ पारणा ऐसे ३३३ दिन में यह व्रत पूर्ण होते हैं, इसकी विधि इस प्रकार है, एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, इस प्रकार बढ़ाते हुये १६ उपवास एक पारणा तक बढ़ाते जावे, फिर पन्द्रह उपवास एक पारणा घटाते हुये एक उपवास एक पारणा तक करे, यह सब मिलकर २८४ उपवास ४६ पारणा ऐसे सब मिलकर ३३३ दिन में पूर्ण होता है। इस व्रत में ॐ ह्रीं त्रिकाल संबन्धि चतुर्विंशति तीर्थंकरेभ्यो नमः इस मन्त्र का नित्य १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, एक पूर्ण अर्घ चढ़ावे । गोविन्द कविकृत व्रत निर्णय पुस्तक में पहली व्रतविधि को सामान्यविधि कहा है, इसका प्रारम्भ आश्विन महीने में किया जाता है, उन्होंने इस व्रत की तीन विधि कही है, पहली जघन्य, दूसरी मध्यम, तीसरी विधि को उत्कृष्ट विधि कहा है। (१) प्र. जघन्य रत्नावली व्रत, ऊपर कहे अनुसार दूसरे प्रकार से यह व्रत करना जघन्य प्रकार है। दूसरी प्रकार मध्यमरीति, इस व्रत की शुरूपात एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, उसके बाद पाठ प्रौषधयुग्म करे,
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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