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व्रत कथा कोष
वासुपूज्य भगवान का पूजाभिषेक करे, बारह पूजा पूर्ण होने पर उद्यापन करे, कथा वगैरह पूर्ववत् समझना।
अथ मृषानंद निवारण व्रत कथा विधि :-पहले के समान करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि वैशाख शु. ६ के दिन एकाशन करे व सप्तमी के दिन उपवास व नवदेवता आराधना मन्त्र जाप्य पत्त मांडला करे। कथा पूर्ववत है । ६ पूजा पूर्ण होने पर कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे।
मकरसंक्रमण व्रत कथा पौष मास के अन्दर आने वाले मकरसंक्रान्ति के दिन शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, प्रदक्षिणा पूर्वक भगवान को नमस्कार करे, शीतलनाथ तीर्थंकर का व यक्षयक्षि का पंचामृताभिषेक करे, नंदादीप लगावे, भगवान के सामने पाटे पर १० स्वस्तिक बनाकर ऊपर पान रखे, उनके ऊपर अष्ट द्रव्य रखे, १० लड्डू रखे, १० कलश में १० प्रकार का धान्य भरकर रखे, उसके बाद वृषभनाथ से लेकर शीतलनाथ भगवान की अलग २ पूजा करे, पंचपकवान चढ़ावे, श्रुत व गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षि की व क्षेत्रपाल की पूजा करे ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं शीतलनाथ तीर्थंकराय ईश्वरयक्ष मानवीयक्षो सहिताय नमः स्वाहा ।
इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़, पूर्ण अर्घ चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, सताईस आहारदान देवे, दूसरे दिन पूजा व दान करे, स्वयं पारणा करे, तीन दिन ब्रह्मचर्य का पालन करे ।
इस व्रत को महिने की उसी तिथि को व्रत पूजन करे, प्रत्येक १२ बारह पजा पूर्ण होने पर, अंत में उद्यापन करे, उस समय शीतलनाथ विधान करे, महाभिषेक करे, मन्दिर में आवश्यक उपकरण चढ़ावे, चतुर्विध संघ को दान देवे, दश सौभाग्यवती स्त्रियों को भोजन कराकर वस्त्रादिक से सम्मान करे ।