SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 477
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४१८ ] व्रत कथा कोष अथ पंचपर्वी व्रत द्वितीया, पंचमी, अष्टमी, एकादशमी और चतुर्दशी, ये पांच तिथि प्रत्येक महिने में दोनों पक्ष में होती है । उस दिन यथाशक्ति प्रोषधोपवास करना । अथवा कांजिका आहार अथवा एकाशन करना, उस दिन हरी वस्तु का त्याग करना । कच्चे फल उस दिन नहीं खाना । यह व्रत प्राजन्म अथवा नियम से कई वर्ष तक किया जाता है । यह व्रत अपनी शक्ति अनुसार करना । ( गोविन्दकृत व्रत निर्णय ) अथ पीतलेश्यानिवारण व्रत कथा विधि :- पहले के समान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि चैत्र कृष्णा १४ के दिन एकाशन करे । ३० के दिन उपवास करना, महावीर भगवान की पूजा, जाप, मन्त्र, मांडला आदि करे । श्रथ पद्मलेश्या निवारण व्रत कथा विधि :- पहले के समान सब विधि करे । श्रन्तर केवल इतना है कि वैशाख शुक्ला १ के दिन एकाशन करे और २ को उपवास करे | पंचपरमेष्ठी की पूजा, मन्त्र, जाप, पाने माण्डला आदि करे । पहले के जैसे ६ पूजा पूर्ण होने पर कार्तिकष्टान्हिका में उसका उद्यापन करें । अथ पृथ्वीकाय निवारण व्रत कथा व्रत विधि :- पहले जैसी सब विधि करनी चाहिए । अन्तर केवल इतना हैं कि चैत्र शुक्ला ५ को एकाशन करना चाहिए और ६ को उपवास करना चाहिए । पद्मप्रभ तीर्थंकर की पूजा, मन्त्र जाप्य करना चाहिए, ६ पत्ते रखना चाहिए । पंचमास चतुर्दशी व्रत आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन पांच महिनों में शुद्ध चतुर्दशी को प्रोषधोपवास करना । इस व्रत को पंचमास चतुर्दशी व्रत कहते हैं । इसमें पांच उपवास होते हैं । यह इस व्रत का एक प्रकार है ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy