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व्रत कथा कोष
अथ पंचपर्वी व्रत
द्वितीया, पंचमी, अष्टमी, एकादशमी और चतुर्दशी, ये पांच तिथि प्रत्येक महिने में दोनों पक्ष में होती है । उस दिन यथाशक्ति प्रोषधोपवास करना । अथवा कांजिका आहार अथवा एकाशन करना, उस दिन हरी वस्तु का त्याग करना । कच्चे फल उस दिन नहीं खाना । यह व्रत प्राजन्म अथवा नियम से कई वर्ष तक किया जाता है ।
यह व्रत अपनी शक्ति अनुसार करना ।
( गोविन्दकृत व्रत निर्णय )
अथ पीतलेश्यानिवारण व्रत कथा
विधि :- पहले के समान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि चैत्र कृष्णा १४ के दिन एकाशन करे । ३० के दिन उपवास करना, महावीर भगवान की पूजा, जाप, मन्त्र, मांडला आदि करे ।
श्रथ पद्मलेश्या निवारण व्रत कथा
विधि :- पहले के समान सब विधि करे । श्रन्तर केवल इतना है कि वैशाख शुक्ला १ के दिन एकाशन करे और २ को उपवास करे | पंचपरमेष्ठी की पूजा, मन्त्र, जाप, पाने माण्डला आदि करे । पहले के जैसे ६ पूजा पूर्ण होने पर कार्तिकष्टान्हिका में उसका उद्यापन करें ।
अथ पृथ्वीकाय निवारण व्रत कथा
व्रत विधि :- पहले जैसी सब विधि करनी चाहिए । अन्तर केवल इतना हैं कि चैत्र शुक्ला ५ को एकाशन करना चाहिए और ६ को उपवास करना चाहिए । पद्मप्रभ तीर्थंकर की पूजा, मन्त्र जाप्य करना चाहिए, ६ पत्ते रखना चाहिए ।
पंचमास चतुर्दशी व्रत
आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन पांच महिनों में शुद्ध चतुर्दशी को प्रोषधोपवास करना । इस व्रत को पंचमास चतुर्दशी व्रत कहते हैं । इसमें पांच उपवास होते हैं । यह इस व्रत का एक प्रकार है ।