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व्रत कथा कोष
पल्यविधान व्रत इस व्रत के उपवास ७२ हैं। एक वर्ष में करना चाहिए । इसको आश्विन शुक्ल एकादशी से शुरू करना चाहिए। इसके क्रम नीचे लिखे प्रमाण से होते हैं ।
(१) आश्विन महिने की शुक्ल ११, १२, १४ व कृष्ण ६, १३, ऐसे ५ उपवास करना।
(२) कार्तिक महिने की सुदी ३, १२ और वदी १२ ऐसे ३ उपवास करना । (३) मार्गशीर्ष सुदी ३, १२ और वदी ११ ऐसे तीन उपवास करना।।
(४) पौष सुदी ५, ७, १५ और वदी २, ३० (अमावस्या) ऐसे ५ उपवास करना।
(५) माघ सुदी ७, ८, १० और वदी ४, ७ और १४ ऐसे ६ उपवास करना।
(६) फाल्गुन सुदी १, ११, वदी ५ और ६ ऐसे चार उपवास करना।
(७) चैत्र महिने की सुदी ७, १० और वदी १, २, ४, ६, ८ और ११ ऐसे पाठ उपवास करना।
(८) वैशाख सुदी २, सुदी ३, ६, १३ और वदी ४ और वदी १० ऐसे ६ उपवास करना।
(६) ज्येष्ठ सुदी ८, १०, १५ और वदी १०, १३, १४, ३० (अमावस्या) ऐसे ७ उपवास करना ।
(१०) आषाढ़ सुदी ८, १० और ११, १३, १४, ३० (अमावस्या) ऐसे सात उपवास करना।
(११) श्रावण सुदी ३, १५ अोर वदी ४, ६, ८ और १४ ऐसे ६ उपवास करना ।
(१२) भाद्रपद सुदी ५, ६, ७, ९, ११, १२, १३ और वदी ६, ७, ६, ११, इस प्रकार ११ उपवास करना चाहिए ।
इस प्रकार सब मिलाकर ७२ उपवास करना।
इस प्रकार सब मिलकर ७२ उपवास होते हैं। व्रत के दिन प्रारम्भ का याग कर धर्मध्यानपूर्वक दिन व्यतीत करना चाहिए ।