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________________ ४०६ ] व्रत कथा कोष पल्यविधान व्रत इस व्रत के उपवास ७२ हैं। एक वर्ष में करना चाहिए । इसको आश्विन शुक्ल एकादशी से शुरू करना चाहिए। इसके क्रम नीचे लिखे प्रमाण से होते हैं । (१) आश्विन महिने की शुक्ल ११, १२, १४ व कृष्ण ६, १३, ऐसे ५ उपवास करना। (२) कार्तिक महिने की सुदी ३, १२ और वदी १२ ऐसे ३ उपवास करना । (३) मार्गशीर्ष सुदी ३, १२ और वदी ११ ऐसे तीन उपवास करना।। (४) पौष सुदी ५, ७, १५ और वदी २, ३० (अमावस्या) ऐसे ५ उपवास करना। (५) माघ सुदी ७, ८, १० और वदी ४, ७ और १४ ऐसे ६ उपवास करना। (६) फाल्गुन सुदी १, ११, वदी ५ और ६ ऐसे चार उपवास करना। (७) चैत्र महिने की सुदी ७, १० और वदी १, २, ४, ६, ८ और ११ ऐसे पाठ उपवास करना। (८) वैशाख सुदी २, सुदी ३, ६, १३ और वदी ४ और वदी १० ऐसे ६ उपवास करना। (६) ज्येष्ठ सुदी ८, १०, १५ और वदी १०, १३, १४, ३० (अमावस्या) ऐसे ७ उपवास करना । (१०) आषाढ़ सुदी ८, १० और ११, १३, १४, ३० (अमावस्या) ऐसे सात उपवास करना। (११) श्रावण सुदी ३, १५ अोर वदी ४, ६, ८ और १४ ऐसे ६ उपवास करना । (१२) भाद्रपद सुदी ५, ६, ७, ९, ११, १२, १३ और वदी ६, ७, ६, ११, इस प्रकार ११ उपवास करना चाहिए । इस प्रकार सब मिलाकर ७२ उपवास करना। इस प्रकार सब मिलकर ७२ उपवास होते हैं। व्रत के दिन प्रारम्भ का याग कर धर्मध्यानपूर्वक दिन व्यतीत करना चाहिए ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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