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व्रत कथा कोष
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पंच सनानिवारण व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला पंचमी को स्नान कर शुद्ध हो, जिनमन्दिरजी में जावे, तीन प्रदक्षिणा पूर्वक भगवान को नमस्कार करे, पंचपरमेष्ठि प्रतिमा और पद्मपभ तीर्थंकर प्रतिमा स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे, एक पाटे पर पांच पान लगाकर ऊपर अक्षतादि रखकर, पांच प्रकार के नैवेद्य से पूजा करे ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौं ह्रः असिमाउसा स्वाहा ।
इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ावे, मंगल आरती उतारे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, उस दिन को धर्म ध्यान से बितावे । मुनिमहाराजादिक को दान देकर स्वयं पारणा करे, शक्ति न हो तो पांच वस्तु से एकाशन करे ।
इसी प्रकार प्रत्येक महिने की उसी तिथि को व्रत पूर्वक पूजा करे, कार्तिक अष्टान्हिका में उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठि का महाभिषेक करके चतुविध संघ को आहारदानादि देवे ।
कथा इस भरत क्षेत्र के कनकपुर नगर में नागकुमार केवली की गंध कुटी आई, वहां का राजा देवकुमार अपने परिवार सहित भगवान के दर्शन को गया, जाकर राजा ने भगवान से पंच सूनानिवारण व्रत ग्रहण किया, यथाविधि व्रत का . पालन कर जिनदीक्षा ग्रहण कर मोक्ष को गया ।
पंच संसार व्रत कथा आषाढ़ शुक्ला पंचमी के दिन शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, तीन प्रदक्षिणा पूर्वक नमस्कार करे, पंचपरमेष्ठि भगवान का पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षि व क्षेत्रपाल की पूजा करे।
___ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रौं ह्रः अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा ।