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________________ होते 1 IFI इस प्रकार १ तिथि करके महाभिषेक करे, चतुविध संधु को पंचकल्याणक करे, नहीं तो जीर्णोद्धार करावे । २४ जिन मन्दिरों के दर्शन करे । मन कर उस समये पद्मश्री बिधाम शक्ति हो तो नवीन मन्दिर बनाकर म 1 WE THE FIFE IF ÉP XE SIPPE का धन्याकुमादि समुद्रय सुखको हित अनुक्रम उन्हें मुक्ति मिलेगी ने दान दे। व्रत कथा कोष 0 ק की क any is fo ID | धर्म २ दिनों में पूरा होता है। इसमें उपवास और पारIR fo १२ गाए सम्पन्न होती हैं । प्रथम उपवास, पारणा; पश्चात् दो उपवास पारणा; अनन्तर तीन अवकास प्रारणात वातावारा उपवासा पाती, की जाती है। धर्मचक्र व्रत के दिनों में "ॐ ह्रीं अरिहन्तधर्मचक्राय नमः” मन्त्र का जाप गुग्गुल और घूप देकर किया जाता है । BE ÍÍÍPTO अंत में उद्यापन करे, उस समय पंचपरमेष्ठि विधान करे । चतुविध संघ को " को प्राक KH [ ३३१ FIRST fra BIB SIBIRSIP ME BIEPE IF कथा EIP BRIR PIE FIP FIE Tn gisfe is sig राजा श्री कि रानी चेलना की कथा प्रद । ! Erron BDIR FH FIA क ह fRBF नमस्कार पैतीस लत की ब्रिलि BP नाम्यासाचतुर्दश्याश्चतुर्दश उपवासामी के पांच उपवास उपवास बताये गये हैं । रामोकार FIR FIER 1 एक-एक उपवास किया जाता FIP FIRE FE THEP T ER BE 15E IPF EF भी किया था इसलिए उन्हें छोड़ी नवम्याः चोपवासाः कथिताः । एतन्नमोकारपञ्चत्रिशंत्कमेतदक्षरसमुदायं विभज्यैककाक्षरस्योपवासः करणीयः । अस्मिन् व्रते न मातिथ्यादिको नियमः केवल्लां तिथि प्रभवतीति तिथिसावधानि व्रतानि । IETS -मालक 615F 13 FS1 BIFF PET FEIFIER TE SE BO FIR तुम न तीसी प्रतीत में सप्तमी को सात है चतुर्दी के चौदह सास और नवमी के नौ मन्त्र में पैंतीस लक्ष होते हैं एक-एक अक्षर का सबक के आरम्भ करने में किसी कास की किसी व्रत
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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