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________________ श्री दिगम्बर जैन कुन्थु विजय ग्रंथमाला समिति जयपुर (राजस्थान) का परिचय (स्थापना एवं किये गये प्रकाशित ग्रन्थों की संक्षिप्त जानकारी) श्री दिगम्बर जैन कुन्थु-विजय ग्रन्थमाला समिति जयपुर (राजस्थान) की स्थापना परम पूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज व श्री १०५ गणिनी मायिकारत्न विजयामती माताजी के नाम से वर्ष १९८१ में की गई थी। इस ग्रंथमाला समिति का प्रमुख उद्देश्य पूर्वाचार्यो द्वारा रचित तीर्थंकरों की वाणी के अनुसार साहित्य प्रकाशन करना है। लघुविद्यानुवाद - इस ग्रन्थमाला समिति ने प्रथम पुष्प के रूप में 'लघुविद्यानुवाद" (यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र विद्या का एक मात्र संदर्भ ग्रन्थ) का प्रकाशन करवाकर इसका विमोचन श्री बाहुबलि सहस्त्राभिषेक के शुभावसर पर चामुण्डराय मण्डप में दिनांक २४-२-८१ को श्रवण बेलगोल में परमपूज्य सन्मार्ग दिवाकर निमित्त ज्ञान शिरोमणि श्री १०८ प्राचार्य रत्न विमल सागरजी महाराज के कर-कमलों द्वारा करवाया गया था । इस समारोह में देश के विभिन्न प्रान्तों से पधारे हुये लाखों नर-नारियों के अलावा काफी संख्या में मंच पर दिगम्बर जैनाचार्य मुनिगण व अन्य साधुवर्ग उपस्थित थे। समाज के गणमान्य व्यक्तियों में सर्व श्री भागचन्दजी सोनी, साहू श्रेयांस प्रसादजी जैन, श्री निर्मल कुमारजी सेठी, श्री त्रिलोकचन्दजी कोठ्यारी, श्री पूनमचन्द जी गंगवाल (झरिया वाले) आदि उपस्थित थे। समारोह की अध्यक्षता श्री पन्नालालजी सेठी (डीमापुर) वालों ने की थी। समारोह में मूडबद्री व कोल्हापुर के भट्टारक महास्वामी जी भी उपस्थित थे। श्री चतुर्विंशति तीर्थंकर अनाहत (यंत्र मन्त्र विधि) ग्रन्थमाला समिति ने द्वितीय पुष्प "श्री चतुर्विशति तीर्थकर अनाहत" (यन्त्र-मन्त्र विधि पुस्तक) कन्नड से हिन्दी में अनुवादित करवाकर इसका प्रकाशन दिनांक ६-५.८२ को श्री पार्श्वनाथ चलगिरि अतिशय क्षेत्र जयपुर (राजस्थान) में प्रायोजित पंचकल्याणक महोत्सव के शुभावसर पर भारत गौरव श्री १०८ प्राचार्य रत्न देशभूषणजी महाराज के कर-कमलों द्वारा विमोचन करवाया गया। इस समारोह में भी देश के विभिन्न प्रान्तों से आये हुये काफी संख्या में लोगों ने भाग लिया और समारोह बहुत ही सुन्दर रहा । समारोह की अध्यक्षता श्री सुरेशचन्दजी जैन दिल्ली वालों ने की।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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