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व्रत कथा कोष
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उसी प्रकार उपरोक्त विधि से, चैत्र मास के चित्रा नक्षत्र में उपवास करके पूजा करने से २ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है, इस दिन व्रत का नाम प्रष्ट महाविभूति है ।
वैशाख महीने के विशाखा नक्षत्र पर उपवास करके पूजा करने से चार लक्ष उपवास का फल प्राप्त है, व्रत का नाम जिनदर्शन है ।
ज्येष्ठा महीने के ज्येष्ठा नक्षत्र में उपवास करके पूजा करने से आठ लक्ष उपवास का फल मिलता है । उस दिन के व्रत का नाम चतुर्विंशति तीर्थंकर है ।
आषाढ़ महीने के पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पर पूजा करने से और उपवास करने से, सोलह लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । व्रत का नाम अनन्त वर्धन है ।
श्रावण महिने के श्रवण नक्षत्र को उपवास कर पूजा करने से बत्तीस लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । व्रत का नाम धर्मानन्द है ।
भाद्रपद महीने में उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र को उपवास करके पूजा करे, तो चौसठ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । उस दिन के व्रत का नाम श्रायुवर्धन है |
आश्विन महीने के अश्विनी नक्षत्र में उपवास करके पूजा करने से १२८ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता हैं । व्रत का नाम श्रीवर्धन हैं ।
कार्तिक महीने के कृतिका नक्षत्र को उपवास कर पूजा करने से २५६ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । व्रत का नाम आरोग्य ज्ञानवर्धन है ।
मार्गशीर्ष महीने के मृगशिर नक्षत्र कर पूजा करने से ५१२ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । व्रत का नाम परमैश्वर्य वर्धन हैं ।
पौष महीने के पुष्य नक्षत्र में उपवास कर पूजा करने से १२४ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । व्रत का नाम पञ्चालंकार है ।
माघ महीने के मघा नक्षत्र में उपवास कर पूर्वोक्त प्रमाण पूजा करने से २०४८ लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है । व्रत का नाम धनवर्धन है ।
इस प्रकार तीन वर्ष तीन महीने तक व्रत को करे । इस को विधिवत् ३६ उपवास करने व पूजा करने से ४०६५००००० लक्ष उपवास का फल प्राप्त होता है,