SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 299
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४० ] व्रत कथा कोष गई । राजकुमार ने जिन्दा होते ही पूछा कि यह सब क्या है, मुझे यहां कौन लाया ? तब कर्मी ने सब वृतांत आद्योपांत कह सुनाया। रक्षक लोगों ने यह सब चमत्कार देखकर राजा को सब समाचार कह सुनाये। . ऐसा सुनकर उन सब को बहुत आश्चर्य हुआ । तत्काल वृषभसेन राजा, गुणसेना राणी, मन्त्री आदि बहुत लोग राजपुत्र के निकट पाये । राजा को अपने प्रिय पुत्र को देखते ही बहत आनन्द आया तब अपनी बहु को पूछा कि यह कैसे हुआ। तब कर्मी ने सब हकीकत जों की त्यों कह सुनाई और कहा कि यह सब कर्मनिर्जिरा व्रत का प्रभाव है । व्रत का प्रभाव देखकर जैनधर्म के ऊपर दढ़ विश्वास सब लोगों को हुआ। यह महासती है, ऐसा कहते हुए सब लोगों ने कर्मी को बहुत-बहुत प्रशंसा की और राजा अपने राजकुमार और उसकी रानी कर्मी को हाथी पर बैठाकर राजशाही ठाठ से अपने राजमन्दिर में लेकर गया । वह वृषभसेन राजा परिवार के साथ में सुख से राज्य करने लगा। थोड़े दिन राज्य करके सब लोग जिनदीक्षा लेकर अन्त में समाधिमरण करके अच्युत स्वर्ग में देव हुए. वहां वे चिरकार तक सुख भोगने लगे। कलधौतार्णव व्रत कथा कार्तिक शुक्ला अष्टमी से पूर्णिमा तक पाठ दिन मन्दिर में जाकर भगवान को नमस्कार करे, पूर्वोक्त विधि से शुद्ध होकर नवदेवता, चौबीस तीर्थंकर मति का पंचामृताभिषेक करे, नन्दीश्वर आकार प्रतिमा स्थापन कर प्रथम चौबीस तीर्थंकर प्रतिमा व नवदेवता की पूजा करे, फिर नन्दोश्वर द्वीप की समुदाय पूजा करे, फिर पंचमेरु पूजा करे, नैवेद्य चढ़ावे, श्रुत व गणधर की पूजा करे, यक्षयक्षि की पूजा करे, क्षेत्रपाल की पूजा करे। ___ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधु जिनधर्म जिनागम जिनचैत्यालयेभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मंत्र का जाप्य करे, सहस्र नाम पढ़े, नंदोश्वर भक्ति पढ़, एक थाली में नारियल सहित अर्घ्य रखकर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, मगल आरती उतारे, शांतिपाठ बोलता हुआ विसर्जन करे, सत्पात्रों को दान देवे, यथाशक्ति उपवास करे, ब्रह्मचर्य पालन करे।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy