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________________ २२२ ] उपवास किया जायेगा । इस प्रकार चार उपवास चार पारणाएं और एक बेला प्रथम पटल सम्बन्धी किये जायेंगे । इसी तरह ६३ पटलों के उपवास और पारणाएं होंगी, अन्त में एक तेला कर व्रत की समाप्ति कर दी जाती है । अतः कुल उपवास ६३x४= २५२ दिन, ६३ बेला = ६३ x २ = १२६ दिन, एक तेला = ३ दिन । २६२+१२६+३ ३६१ उपवास के दिन । पारणाएं २५२ + ६३ बेला के अनन्तर + १ तेला के अनन्तर ३१६ पारणा के दिन ३८१ + ३१६ = ६६७ दिन इस व्रत को पूर्ण करने में लगते हैं । इस व्रत के लिए किसी तिथि का विधान नहीं है । = पय विधान व्रत में एक वर्ष में ७२ उपवास किये जाते हैं । प्रथम उपवास आश्विन वदी षष्ठी को किया जाता है । द्वितीय प्राश्विन वदी त्रयोदशी को, तृतीय बेला प्राश्विन सुदी एकादशी और द्वादशी को की जाती है । इस प्रकार आगे-आगे भी उपवास और बेला की जाती हैं । क्रम निम्न प्रकार है आश्विन वदी 11 " " و " = कार्तिकवदी 11 11 सुदी " मार्गशीर्षवदी " सुदी " सुदी सुदी सुदी सुदी १२ पौष वदी २ पौष वदी अमावस्या ५ सुदी सुदी व्रत कथा कोष ६ तिथि उपवास १३ उपवास ११,१२ बेला दो दिन का उपवास १४ उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास १२ ३ १२ ११ ७ चैत्र वदी " "1 11 11 " " = 3 " " वैशाख वदी " 17 सुदी 11 सुदी 19 21 ज्येष्ठ वदी 31 " उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास उपवास १० उपवास २ - ३ बेला दो दिन का उपवास ह उपवास १३ उपवास १० उपवास १३-१४-३० तेला- तीन दिन का उपवास ४ ६ ११ ७ १०. ४
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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