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उपवास किया जायेगा । इस प्रकार चार उपवास चार पारणाएं और एक बेला प्रथम पटल सम्बन्धी किये जायेंगे । इसी तरह ६३ पटलों के उपवास और पारणाएं होंगी, अन्त में एक तेला कर व्रत की समाप्ति कर दी जाती है । अतः कुल उपवास ६३x४= २५२ दिन, ६३ बेला = ६३ x २ = १२६ दिन, एक तेला = ३ दिन । २६२+१२६+३ ३६१ उपवास के दिन । पारणाएं २५२ + ६३ बेला के अनन्तर + १ तेला के अनन्तर ३१६ पारणा के दिन ३८१ + ३१६ = ६६७ दिन इस व्रत को पूर्ण करने में लगते हैं । इस व्रत के लिए किसी तिथि का विधान नहीं है ।
=
पय विधान व्रत में एक वर्ष में ७२ उपवास किये जाते हैं । प्रथम उपवास आश्विन वदी षष्ठी को किया जाता है । द्वितीय प्राश्विन वदी त्रयोदशी को, तृतीय बेला प्राश्विन सुदी एकादशी और द्वादशी को की जाती है । इस प्रकार आगे-आगे भी उपवास और बेला की जाती हैं । क्रम निम्न प्रकार है
आश्विन वदी
11
"
"
و
"
=
कार्तिकवदी
11
11
सुदी
"
मार्गशीर्षवदी
"
सुदी
"
सुदी
सुदी
सुदी
सुदी
१२
पौष वदी
२
पौष वदी अमावस्या
५
सुदी
सुदी
व्रत कथा कोष
६ तिथि उपवास
१३
उपवास
११,१२
बेला
दो दिन का उपवास
१४
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
१२
३
१२
११
७
चैत्र वदी
"
"1
11
11
"
"
= 3
" "
वैशाख वदी
"
17
सुदी
11
सुदी
19
21
ज्येष्ठ वदी
31
"
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
उपवास
१०
उपवास
२ - ३ बेला दो दिन का
उपवास
ह
उपवास
१३
उपवास
१०
उपवास
१३-१४-३० तेला- तीन
दिन का उपवास
४
६
११
७
१०.
४