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________________ २१२ ] व्रत कथा कोष ॐ ह्रां ह्रीं ह्र ह्रौं ह्रः असिग्राउसा अनाहतविद्यायै नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ पुष्प लेकर जाप करे, सहस्र नाम स्तोत्र पढ़े, एक माला णमोकार मन्त्र की फेरे, शास्त्र स्वाध्याय करे, एक थाली में पांच पान के पत्त लगाकर उन पत्तों के ऊपर अष्टद्रव्य रखे, एक नारियल रखे, अर्घ्य की थाली हाथ में लेकर तीन प्रदक्षिणा मन्दिर की लगावे, मंगल आरती करके अर्घ्य भगवान को चढ़ा देवे, उस दिन उपवास करे, ब्रह्मचर्य पालन करे, धर्मध्यान से समय बितावे, दूसरे दिन सत्पात्र को दान करके, स्वयं पारणा करे। इस प्रकार प्रत्येक महिने को एकादशी के दिन उपरोक्त विधि करके, व्रत का पालन करे, ऐसे नौ महिने तक करे, अन्त में उद्यापन करे, उद्यापन के समय, जलाधिवास, महाभिषेक, जलहोम, पूजा करनी चाहिये, महाशांति मन्त्र से गंधोदक करे, नौ मुनिसंघों को आहारदान व उपकरणों को भेंट करे, आर्यिका माताजी को साड़ी आदि देकर संतुष्ट करे, श्रावक श्राविकाओं को भी भोजन देकर संतुष्ट करे, गृहस्थाचार्य को वस्त्रादिक देवे, दान दक्षिणा देवे । इस प्रकार इस व्रत की विधि है, इस व्रत के प्रभाव से बहुत जोव मोक्ष गये हैं, महान पुण्य के भागी बने हैं। कायगुप्ति व्रत कथा प्राषाढ शुक्ल एकम को सर्व क्रिया पूर्ववत् करके जिनमन्दिर में आदिनाथ तीर्थंकर का पंचामृताभिषेक करे, अष्टद्रव्य से पूजा करे, यक्षादि व गुरु श्रुत की पूजा करे। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहं आदिनाथ तीर्थकराय गोमुखयक्ष चक्र श्वरीयक्षी सहिताय नमः स्वाहा। ____ इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करे, व्रत कथा पढ़े, एक पूर्ण अर्घ्य चढ़ाके, मंगल आरतो उतारे, सत्पात्रों को दान देवे। इस प्रकार प्रत्येक दिन पूजा करके एक वस्तु का त्याग करके भोजन करे, चार महिने तक ऐसा करे, ब्रह्मचर्य का पालन करे, अन्त में कार्तिक अष्टाह्निका में
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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