SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 265
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०६ ] व्रत कथा कोष में करे, उसी दिन व्रत पूजा करे, संभवनाथ भगवान की आराधना करे, -मन्त्र जाप्य भी उसी प्रकार करे, कथा पूर्ववत् समझे। वृषभसंक्रमण व्रत कथा इस व्रत को भी तूर्ववत् करे, विधि भी उसी प्रकार करे, वैशाख महिने में वृषभसंक्रमण आता है तब इस व्रत को करे, अजितनाथ तीर्थंकर की आराधना करे, जाप्य भी उसी प्रकार करे, कथा पूर्ववत् समझे । । ___ मेषसंक्रमण व्रत कथा मकरसंक्रमण के समान इस व्रत की भी पूजा विधि करे, मात्र इस व्रत को चैत्र महिने में मेषसंक्रमण प्राता है तब करे, आदिनाथ तीर्थंकर की आराधना करे, मंत्र जाप्य उसी प्रकार करे, कथा भी पूर्ववत् पढ़े। सूचना :-ऊपर कही हुई कथा मकरसंक्रमण व्रत से लेकर मेषसंक्रमण तक बारह व्रत कथा की विधि एक समान है, आदिनाथ से लेकर वासुपूज्य तक आराधना करनी चाहिये, मेषसंक्रमण में आदिनाथ, वृषभसंक्रमण में अजितनाथ आदि क्रमशः ग्रहण करना। कवलचंद्रायण व्रत कथा चैत्रादि बारह महिने के अन्दर किसी भी महिने की प्रमावश्या से इस व्रत को प्रारम्भ करे, उस दिन शुद्ध होकर मन्दिर में जावे, प्रदक्षिणा लगाकर भगवान को नमस्कार करे, चंद्रप्रभ भगवान की मूर्ति यक्षयक्षिणी सहित स्थापन कर पंचामृत अभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षिणि व क्षेत्रपाल की भी पूजा करे। ॐ ह्रीं अहं चंद्रप्रभ तीर्थंकराय श्यामयक्ष ज्वालामालिनी यक्षी सहिताय नमः स्वाहा। तीसों दिन ही यही जाप्य करे, इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करे, समोकार मन्त्र का जाप्य करे, सहस्र नाम पढ़े, स्वाध्याय करे, व्रत कथा पढ़े,
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy