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________________ व्रत कथा कोष [१६५ उपसर्ग निवारण व्रतकथा विधि-श्रावण शुक्ल १३ के दिन प्रातःकाल स्नानादि क्रिया कर शुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा सामग्री को हाथ में लेकर जिन मन्दिर में जावे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा देकर, ईर्यापथ शुद्धिपूर्वक भक्ति से भगवान को साष्टांग नमस्कार करे, फिर अभिपीठ पर धरणेन्द्रपद्मावति सहित पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान करके वैभवपूर्वक पंचामृताभिषेक करे। अष्ट द्रव्यों से भगवान की पूजा करे, शास्त्र व गुरु को पूजा करे, धरणेन्द्र, पद्मावति, क्षेत्रपाल को अर्घ समर्पण करे । ___ ॐ ह्रीं क्लीं ऐं अहं श्री पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावति सहिताय नमः स्वाहा। इस मंत्र से १०८ पुष्प लेकर जाप्य करे, एक माला णमोकार मन्त्र की फेरे, व्रत कथा पढे, एक महाअर्घ्य थाली में लेकर तीन प्रदक्षिणापूर्वक मंगल आरती उतारे, उस दिन ब्रह्मचर्यपूर्वक उपवास या एकाशन अथवा फलाहार करे, रात्रि में शुद्ध होकर मन्दिर के सभा । ण्डप को शृगारित करके भूमि पर पंचरंगों से अष्टदल कमल बनाकर उसके मध्य में मंगल कलश स्थापन करे एक थाली में केसर से या अष्टगंध से पार्श्वनाथ यंत्र लिख कर उस मंगल कलश के ऊपर रखे, उस थाली में पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान करे । प्रारम्भ में सर्व नित्यपूजा विधिपूर्वक करके अन्त में पार्श्वनाथ विधान करे (पार्श्वनाथ पूजा अलग-अलग नौ बार होती है ।) ___ ॐ ह्रीं अहं अह सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधु जिनधर्म जिनागम जिनचैत्य जिनचैत्यालयेभ्यो नमः स्वाहा । - इस मंत्र से १०८ पुष्प लेकर मन्त्र का जाप करे, बाद में एक महा अर्घ्य थाली में लेकर बोलते हुये मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा देकर मंगल आरती उतारते हए अर्घ्य चढ़ावे, शास्त्रस्वाध्यायादि करते हुए रात्रि समाप्त करे। प्रातः अभिषेकपूर्वक नित्य पूजा करके चतुसंघ को दान देकर स्वयं पारणा करे। इस क्रम से इस व्रत को ६ वर्ष करके अन्त में व्रत का उद्यापन करे । पार्श्वनाथ प्रभु की नवोन प्रतिमा बनवाकर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा करावे । मन्दिर में आवश्यक उपकरण प्रदान करे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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